वो शाम सिर्फ हमारी थी:- प्रज्ञा (MMV BHU)


                   वो शाम सिर्फ हमारी थी                                                 
दी जल्दी चलो, शाम हो जाएगी तब जाओगी। आज  आखिरी दिन है वह चले जाएगा, चलो जल्दी। 
उससे मिलने की बेचैनी में वो जल्दी-जल्दी खुद को सवारती हुई बाहर आती है, आज रात उसकी बस है देहरादून के लिए ना जाने वह कब वापस आएगा।
उसकी भी आंखें तरस रही थी अपनी महबूबा को देखने के लिए आखिर पहला प्यार जो था। "आज उसे बोल ही दूंगा चाहे कुछ भी हो जाए "  ऐसे ऐसे ख्याल उसके मन में घूम रहे थे, बहुत बेचैन था वो भी क्या करे कैसे करे ।
बोर्ड के एग्जाम खत्म हुए थे दोनों के, महज 15- 16 बरस होगी उनकी। 

आज वो जा रहा था आखिरी मुलाक़ात थी उनकी। दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे बस देखे जा रहे थे, शायद ये पल कभी वापस ना आए।

शायद बस में रात भर वो उसी को याद करता रहा , हां उसने बताया था वो उसे बहुत याद करता था, रोज किसी तरह टाइम निकाल कर बातें भी किया करता था।
शाम ढलती जा रही थी और उसके जाने का वक्त भी नजदीक आ रहा था, 8 बजे बस थी उसकी मुझे याद है।
वो इतना ज्यादा उदास और बेचैन था, जिसे लब्जों में बयां करना मुश्किल है, उसकी शक्ल देखते ही बनती थी। उसने बहुत दिनों से जुटाई हिम्मत को जाहिर करने की हिम्मत की।

वो सोच रही थी आज वो उसे बोल ही देगा "की वो उससे कितना प्यार करता है और वो भी"।
बहुत शाम हो गई थी वो अब जाने को थी, और वो बेचैन था उसे गले लगाने के लिए, बस वो उसके पीछे चल दिया पर परिस्थितियां ऐसी हुई  की वो ऐसा कर ना पाया। फिर उसने इशारा करके उसे अपने पास बुलाया, उसे लगा वो अपने दिल की बात कहेगा पर इश्क़ इतना परवान चढ़ चुका था, जिसे वो संभाल ना पाया फिर अपनी ओर खींच उसने किस्स कर लिया। वो बौखला गई ये क्या हुआ वो जल्दी से वहां से भागी, वो बहुत खुश थी और रोने भी लगी ये क्या हो गया। उसे पहले प्यार का पहला एहसाह समझने में वक्त लग गया।
वो शाम बहुत खूबसूरत और यादगार थी सिर्फ उन दोनों के लिए, आज भी उस शाम को याद कर हंसी आ जाती है और रोना भी।

 दी जल्दी चलो, शाम हो जाएगी तब जाओगी। आज   आखिरी दिन है वह चले जाएगा, चलो जल्दी।   जल्दी चलो, शाम हो जाएगी तब जाओगी। आज  आखिरी दिन है वह चले जाएगा, चलो जल्दी। 
उससे मिलने की बेचैनी में वो जल्दी-जल्दी खुद को सवारती हुई बाहर आती है, आज रात उसकी बस है देहरादून के लिए ना जाने वह कब वापस आएगा।
उसकी भी आंखें तरस रही थी अपनी महबूबा को देखने के लिए आखिर पहला प्यार जो था। "आज उसे बोल ही दूंगा चाहे कुछ भी हो जाए "  ऐसे ऐसे ख्याल उसके मन में घूम रहे थे, बहुत बेचैन था वो भी क्या करे कैसे करे ।
बोर्ड के एग्जाम खत्म हुए थे दोनों के, महज 15- 16 बरस होगी उनकी। 

आज वो जा रहा था आखिरी मुलाक़ात थी उनकी। दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे बस देखे जा रहे थे, शायद ये पल कभी वापस ना आए।
शायद बस में रात भर वो उसी को याद करता रहा , हां उसने बताया था वो उसे बहुत याद करता था, रोज किसी तरह टाइम निकाल कर बातें भी किया करता था।
शाम ढलती जा रही थी और उसके जाने का वक्त भी नजदीक आ रहा था, 8 बजे बस थी उसकी मुझे याद है।
वो इतना ज्यादा उदास और बेचैन था, जिसे लब्जों में बयां करना मुश्किल है, उसकी शक्ल देखते ही बनती थी। उसने बहुत दिनों से जुटाई हिम्मत को जाहिर करने की हिम्मत की।

वो सोच रही थी आज वो उसे बोल ही देगा "की वो उससे कितना प्यार करता है और वो भी"।
बहुत शाम हो गई थी वो अब जाने को थी, और वो बेचैन था उसे गले लगाने के लिए, बस वो उसके पीछे चल दिया पर परिस्थितियां ऐसी हुई  की वो ऐसा कर ना पाया। फिर उसने इशारा करके उसे अपने पास बुलाया, उसे लगा वो अपने दिल की बात कहेगा पर इश्क़ इतना परवान चढ़ चुका था, जिसे वो संभाल ना पाया फिर अपनी ओर खींच उसने किस्स कर लिया। वो बौखला गई ये क्या हुआ वो जल्दी से वहां से भागी, वो बहुत खुश थी और रोने भी लगी ये क्या हो गया। उसे पहले प्यार का पहला एहसाह समझने में वक्त लग गया।
वो शाम बहुत खूबसूरत और यादगार थी सिर्फ उन दोनों के लिए, आज भी उस शाम को याद कर हंसी आ जाती है और रोना भी।

उससे मिलने की बेचैनी में वो जल्दी-जल्दी खुद को सवारती हुई बाहर आती है, आज रात उसकी बस है देहरादून के लिए ना जाने वह कब वापस आएगा।
उसकी भी आंखें तरस रही थी अपनी महबूबा को देखने के लिए आखिर पहला प्यार जो था। "आज उसे बोल ही दूंगा चाहे कुछ भी हो जाए "  ऐसे ऐसे ख्याल उसके मन में घूम रहे थे, बहुत बेचैन था वो भी क्या करे कैसे करे ।
बोर्ड के एग्जाम खत्म हुए थे दोनों के, महज 15- 16 बरस होगी उनकी। 

आज वो जा रहा था आखिरी मुलाक़ात थी उनकी। दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे बस देखे जा रहे थे, शायद ये पल कभी वापस ना आए।
शायद बस में रात भर वो उसी को याद करता रहा , हां उसने बताया था वो उसे बहुत याद करता था, रोज किसी तरह टाइम निकाल कर बातें भी किया करता था।
शाम ढलती जा रही थी और उसके जाने का वक्त भी नजदीक आ रहा था, 8 बजे बस थी उसकी मुझे याद है।
वो इतना ज्यादा उदास और बेचैन था, जिसे लब्जों में बयां करना मुश्किल है, उसकी शक्ल देखते ही बनती थी। उसने बहुत दिनों से जुटाई हिम्मत को जाहिर करने की हिम्मत की।

वो सोच रही थी आज वो उसे बोल ही देगा "की वो उससे कितना प्यार करता है और वो भी"।
बहुत शाम हो गई थी वो अब जाने को थी, और वो बेचैन था उसे गले लगाने के लिए, बस वो उसके पीछे चल दिया पर परिस्थितियां ऐसी हुई  की वो ऐसा कर ना पाया। फिर उसने इशारा करके उसे अपने पास बुलाया, उसे लगा वो अपने दिल की बात कहेगा पर इश्क़ इतना परवान चढ़ चुका था, जिसे वो संभाल ना पाया फिर अपनी ओर खींच उसने किस्स कर लिया। वो बौखला गई ये क्या हुआ वो जल्दी से वहां से भागी, वो बहुत खुश थी और रोने भी लगी ये क्या हो गया। उसे पहले प्यार का पहला एहसाह समझने में वक्त लग गया।
वो शाम बहुत खूबसूरत और यादगार थी सिर्फ उन दोनों के लिए, आज भी उस शाम को याद कर हंसी आ जाती है और रोना भी।

                   ✍️© प्रज्ञा

लेखिका वर्तमान में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय (MMV) में स्नातक की छात्रा के रूप में अध्ययनरत हैं। वो सामाजिक कार्यो में रुचि रखते हुए स्वतंत्र लेखन करती हैं

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