रासुका कानून क्या है ,अगर किसी व्यक्ति पर लगता है तब क्या होता है

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रासुका क्या है

इस समय आप प्रतिदिन एक कानून के बारे में सुनते है रासुका की किसी के ऊपर रासुका लगाया गया पर उसके विषय मे पूर्ण रूप से नही जानते रासुका को  नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) कह लें या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून या फिर रासुका एनएसए के तहत ऐसे व्यक्ति को महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से जुड़ा एक कानून है। ये कानून सरकार को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी की शक्ति देता है। सरकार को यदि लगता है कि कोई शख्स देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कामों को करने से उसे रोक रहा है, तो उस शख्स को गिरफ्तार कर सकती है। इस कानून का इस्तेमाल जिला अधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है। अगर सरकार को लगे कि कोई व्यक्ति बिना किसी मतलब के देश में रह रहा है और उसे गिरफ्तार किए जाने की जरूरत है तो सरकार उसे भी गिरफ्तार करवा सकती है।

रासुका कानून की पृष्ठभूमि

इस कानून की पृष्ठभूमि की अगर बात करे तो साल 1980 में दोबारा सत्ता में आई इंदिरा गांधी सरकार ने इसे सितंबर 23 को पास करवाया था। बाद में 27 दिसबंर 1980 को ये तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी की मंजूरी के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के रूप में जाना जाने लगा। 3 महीने की गिरफ्तारी कानून के तहत पहले व्यक्ति को तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जाता है। आवश्यकतानुसार 3-3 महीने के लिए गिरफ्तारी की अवधि बढ़ाई जा सकती है। गिरफ्तारी के बाद अधिकारी को राज्य सरकार को बताना पड़ता है कि किस आधार पर गिरफ्तारी की गई है। रासुका या एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है।  हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाई कोर्ट के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है। मुकदमे के दौरान रासुका लगे व्यक्ति को वकील की अनुमति नहीं मिलती।
                   ✍️© आशुतोष मिश्रा

लेखक वर्तमान में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विधि संकाय में लॉ के छात्र के रूप में अध्ययनरत हैं। कानून के को आम भाषा में लोगो के बीच ला कर लोगो को कानून के प्रति जागरूक कर रहें हैं। उसके साथ सामाजिक कार्य से जुड़े रहते हुए स्वतंत्र लेखन कर रहें हैं ।

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