इश्क की भ्रूण हत्या :- शिवेश उपाध्याय

इश्क की भ्रूण हत्या

किसी की कहानी नहीं बल्कि भावनाएँ आहत होने की एक प्रसंग मात्र है। ये बालक bhu और हॉस्टल में मेरा सबसे करीबी है। लड़का बहुत प्रतिभाशाली रहा है,ज़हानाबाद जिले में टॉपर था। स्कूल में शायद 9th class में था पहली बार प्यार में पड़ गया, वो गुरमीत नाम की बालिका ने प्रस्ताव भेजा था।स्कूल में दोस्तों की नज़रों से बच के कुछ ही बातें कर पाता था तो लगा की मोबाइल लेना जरूरी है। इन्ही दिनों एक घटना भी घटी किसी आदमी ने उसके पिताजी को call करके बताया की आपका बेटा जिस ट्रेन से स्कूल जाता है,उसमें बिना टिकट के चढ़ने पर tt के हत्थो लग गया।अब पिताजी उस समय बेटे से बात नही कर पाए तो लगा की लड़का बाहर जाता है अब मोबाइल दे ही देना चाहिए।दरअसल वो टिकट के पैसों को  अपनी नई नवेली इश्क को अलंकृत करने में लुटा आता था। अन्य प्रेमियों की भाँति उसे भी रोज़ नये नये तोहफे अपनी प्रियतमा को अर्पण करने का मन करता था। अब मोबाइल मिल जाने पर उनकी इश्क परवान चढ़ने लगी। एक दूसरे के बिना वो अधूरे लगने लगे। स्कूल में एक के न जाने पर दूसरे के जाने का सवाल ही नही था। घर पर भी मोबाइल में कविता लिखने के नाम पर दिन भर चैटिंग करता रहता।पिताजी को भी अब समझ में आने लगा था की बेटे की कविता किसी उर्वशी की चक्कर काट रही है।माँ मोबाइल से ज्यादा न चिपकने की सलाह देती तो वो आत्मदाह करने की धमकी देता। एक दिन पिताजी ने अपनी अनुभव का इस्तेमाल किया, बेटे को यह बोल के की मेरा मोबाइल खो गया और लॉक लगे होने के कारण  कोई वापस भी नही कर सकता बेटे के मोबाइल से लॉक हटवा दिया। और फिर मौका पाकर बेटे के मोबाइल की सारी chat पढ़ ली जिसमें दोनों ने प्यार के बारे में प्रशांत महासागर से भी गहरे भावनाएँ व्यक्त की हुई थी। अब उस दिन घर में जितने भी भौतिक वस्तुएँ पिताजी के सामने नज़र आयी सब से धुलाई हुई। कुछ ही दिनों के बाद लड़के को दूसरे स्कूल में भेज के उनकी इश्क की भ्रूण हत्या कर दी गयी।


           ✍️ ©   शिवेश उपाध्याय
                      बी.ए द्वितीय वर्ष 
                         कला संकाय
               काशी हिंदू विश्वविद्यालय

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