आकांक्षा यादव ने 'एजुकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग' (Education University of Hong Kong) में 1 दिसंबर से 3 दिसंबर 2025 तक आयोजित "International Conference on Life Education and Well-Being" में हिस्सा लिया।
वहाँ उन्होंने अपने शोध कार्य, जिसका शीर्षक “Role of Schooling and Religious Affiliation in the Social Well-Being of Students in India” है, को वैश्विक विद्वानों के सामने प्रस्तुत किया।
क्या है उनके शोध का विषय?
आकांक्षा का शोध आज के भारतीय संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने अपने अध्ययन में यह बताया है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में स्कूली शिक्षा और धार्मिक संबद्धता (Religious Affiliation) छात्रों के 'सोशल वेल-बीइंग' (सामाजिक कल्याण) को कैसे प्रभावित करती है।
उनका शोध मुख्य रूप से इन बिंदुओं पर केंद्रित है:
- शैक्षिक वातावरण कैसे छात्रों के सामाजिक रिश्तों को आकार देता है।
- छात्रों के सामाजिक एकीकरण (Social Integration) में स्कूल की भूमिका।
- छात्र अपनी सामाजिक पहचान (Social Identities) को कैसे समझते और संतुलित करते हैं।
प्रोफेसर शबाना बानो के निर्देशन में हो रहा कार्य
यह उपलब्धि गुरु-शिष्य परंपरा का बेहतरीन उदाहरण है। आकांक्षा अपना यह शोध कार्य मनोविज्ञान विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर शबाना बानो (Prof. Shabana Bano) के कुशल निर्देशन में कर रही हैं। विभाग के शिक्षकों और सहपाठियों ने आकांक्षा की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है।
BHU Diaries की ओर से आकांक्षा यादव को ढेर सारी बधाई और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं!
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