काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU), जिसे हम शिक्षा का मंदिर कहते हैं, आज वहां के शोध छात्र (Research Scholars) अपनी ही किताबों से दूर, न्याय की मांग लिए सड़क पर बैठने को मजबूर हैं।
ताजा मामला इतिहास विभाग (History Department) का है। आज BHU के सेंट्रल ऑफिस (Central Office) के मुख्य द्वार पर उस वक्त हलचल तेज हो गई, जब इतिहास विभाग के शोध छात्रों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। ये छात्र पिछले 10 महीनों से अपनी जायज मांगों के लिए विभागों के चक्कर काट रहे थे, लेकिन जब कहीं सुनवाई नहीं हुई, तो वे 'महामना' के द्वार पर अपनी व्यथा लेकर आ गए।
क्या है पूरा मामला? (The Core Issue)
धरना दे रहे छात्रों का आरोप बेहद गंभीर है। उनका कहना है कि एडमिशन के वक्त उनसे फीस 'मेन कैंपस' (Main Campus) की जमा कराई गई, लेकिन अब उन्हें रिसर्च के लिए एफिलिएटेड कॉलेजों (Affiliated Colleges) में भेजा जा रहा है।
छात्रों का गुस्सा इस बात पर भी है कि इस पूरी प्रक्रिया में आरक्षण नियमों (Reservation Rules) की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जो सीधे तौर पर बराबरी के अधिकार का हनन है।
10 महीने से मानसिक शोषण हो रहा है"
प्रदर्शन कर रहे छात्रों की आंखों में गुस्सा और लाचारी दोनों साफ देखी जा सकती है। उनका कहना है:
"हमें पिछले 10 महीने से यहाँ से वहां दौड़ाया जा रहा है। न कोई जवाब देता है, न कोई हमारी समस्या सुनता है। यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि हमारा मानसिक शोषण है।"
छात्रों ने सीधे तौर पर विभागाध्यक्ष (HoD) और डीआरसी (Department Research Committee) पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एक साजिश के तहत उन्हें जानबूझकर विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर से दूर किया जा रहा है।
सिर्फ आरक्षित वर्ग के छात्र ही निशाने पर क्यों?
इस प्रदर्शन की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्रभावित होने वाले सभी छात्र आरक्षित वर्ग (Reserved Category) से आते हैं। छात्रों का सवाल है कि क्या प्रशासन जानबूझकर SC, ST और OBC वर्ग के छात्रों को निशाना बना रहा है?
- प्रदर्शन में शामिल प्रमुख छात्र:
- SC वर्ग: राहुल कुमार, नेहा मंडल, धर्मेन्द्र कुमार डाहायत, नीसी।
- OBC वर्ग: सुजीत यादव, चांदनी यादव, सोनाली नरवरे, दीपशिखा गुप्ता, सीवाजा (केरल से), अभिषेक कुमार।
- ST वर्ग: मीशांत राज, शिवम वर्मा।
⚖️ BHU डायरीज का सवाल
शोध छात्र किसी भी विश्वविद्यालय की रीढ़ होते हैं। अगर इतिहास विभाग के इन छात्रों के आरोपों में सच्चाई है, तो यह BHU की गरिमा पर एक बड़ा सवाल है। क्या प्रशासन इन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है? फीस मेन कैंपस की लेकर कॉलेज भेजना किस नियम के तहत सही है?
हम उम्मीद करते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द से जल्द इन शोधार्थियों की सुध लेगा और उन्हें उनका हक देगा।

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