गंगा घाटी की प्राचीन विरासत को मिला राष्ट्रीय पहचान, बीएचयू ने ऐतिहासिक मिट्टी के बर्तन सौंपे मरीन हेरिटेज म्यूजियम को
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने गंगा घाटी के विभिन्न पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त प्राचीन मिट्टी के बर्तनों (पॉटशर्ड्स) का संग्रह भारत सरकार के नेशनल मरीटाइम हेरिटेज म्यूजियम, लोथल (गुजरात) को औपचारिक रूप से सौंपा है। यह म्यूजियम भारत के बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा गुजरात सरकार के सहयोग से बनाया जा रहा है।
इस अनूठी पहल के तहत, अलमगीरपुर, रायपुरा, अनई, लतीफशाह, खापुर और महावन जैसे घाटीक्षेत्र के प्रतिष्ठित पुरातात्विक स्थलों से मिली पॉटशर्ड्स—जिनमें Painted Grey Ware, Grey Ware, Black Slipped Ware और Red Ware जैसी प्राचीन शैलियां शामिल हैं—को म्यूजियम के महानिदेशक प्रो. वसंत शिंदे को आधिकारिक रूप से सौंपा गया। इन बर्तनों की कालावधि लगभग 1200 ईसा पूर्व से 800 ईस्वी तक मानी जाती है, यानी ये गंगा मैदान की लगभग 4000 वर्षों की संस्कृति और इतिहास का दस्तावेज हैं।
इस मौके पर विभाग प्रमुख प्रो. एम. पी. अहिरवार ने कहा कि यह विभाग के लिए गौरव का विषय है कि अपने शताब्दी वर्ष के आयोजन और शैक्षणिक-शोध उपलब्धियों के दौर में, उसकी खुदाई से निकली हजारों साल पुरानी धरोहर को अब राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थान मिल रहा है। इससे न केवल विश्वविद्यालय की शोध उपलब्धियों को, बल्कि गंगा घाटी की सांस्कृतिक परंपराओं को भी राष्ट्रीय और वैश्विक पहचान मिलेगी।
म्यूजियम के महानिदेशक प्रो. वसंत शिंदे ने बीएचयू की पहल की सराहना की और कहा कि ऐसी साझेदारियाँ जहां म्यूजियम का संग्रह बहुमूल्य बनता है, वहीं यह गंगा घाटी की सांस्कृतिक विरासत को पूरे भारत और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का एक अहम स्रोत है।
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