बीएचयू छात्रसंघ भवन में “मोर्चेबन्दी” उपन्यास का विमोचन, आंदोलन की ऐतिहासिक यादें और भारतीय भाषाओं पर संवाद
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में मंगलवार को ऐतिहासिक "मोर्चेबन्दी" उपन्यास का विमोचन और विमर्श कार्यक्रम संपन्न हुआ। यह उपन्यास 1967-68 के अंग्रेज़ी हटाओ छात्र आंदोलन की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है, जिसने उत्तर भारत में शिक्षा, भाषा और राजनीति के सवालों को नई धार दी थी। कार्यक्रम में छात्रसंघ और भाषा आंदोलन से जुड़े दिग्गज, शिक्षाविद, लेखक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
विमोचन समारोह में आंदोलन की गूँज
मुख्य अतिथि और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य, पूर्व बीएचयू छात्रसंघ अध्यक्ष मोहन प्रकाश ने कहा कि उस समय अनेक होनहार छात्र अंग्रेज़ी अनिवार्यता के चलते प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाते थे। उनका आक्रोश ही इतिहास बदलने वाले आंदोलन में बदल गया। उन्होंने आज भी पुस्तकों तथा स्टेशनेरी पर लगने वाली जीएसटी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए छात्रों से इसके विरोध का आह्वान किया।
भाषा, लोकतंत्र और भारतीयता पर चर्चा
वरिष्ठ समाजवादी नेता विजय नारायण ने आंदोलन के ऐतिहासिक पहलुओं को साझा करते हुए कहा कि यह लड़ाई अंग्रेज़ी के खिलाफ नहीं, बल्कि उसकी अनिवार्यता और भारतीय भाषाओं के संरक्षण के लिए थी। कार्यक्रम में भाषा विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह ने भारतीय भाषाओं को राष्ट्र निर्माण में "प्राण-वायु" जैसा बताया।
लेखक ने इतिहास का किया पुनरावलोकन
पुस्तक के लेखक प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने बताया कि आंदोलन में सभी भाषाई पृष्ठभूमि के छात्र साथ आए थे। राष्ट्रीय स्तर पर इसमें मधु लिमये और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेताओं की सक्रिय भूमिका रही। चौधरी चरण सिंह सरकार को भी छात्रों के दबाव में झुकना पड़ा, नतीजतन हिंदी को शैक्षिक और प्रशासनिक मान्यता मिली। उन्होंने विश्वविद्यालय के बदलते स्वरूप और जनतंत्र एवं युवा रोजगार की चुनौतियों पर भी चिंता जाहिर की।
सामाजिक योगदान को सम्मान
समारोह में समाज तथा शिक्षा जगत के कई उल्लेखनीय व्यक्तियों—मो. बबुन, प्रो. दीपक मल्लिक, विजय नारायण और राधेश्याम सिंह—को अंगवस्त्र और बीएचयू प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। बीएचयू शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. दीपक मल्लिक ने आंदोलन के अनुभव साझा किए और उपन्यास को कालजयी बताया।
कार्यक्रम में सैकड़ों छात्रों की भागीदारी
विमोचन एवं विमर्श कार्यक्रम का संचालन राणा रोहित ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शम्मी सिंह ने प्रस्तुत किया। इस दौरान प्रो. आनंद दीपायन, प्रो. केके मिश्रा, डॉ. अवधेश सिंह, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शिवकुमार सिंह, डॉ. सूबेदार सिंह, विजय मलिक, महेश सिंह, कुंवर सुरेश बहादुर, सुमन आनंद, वंदना उपाध्याय समेत कई शिक्षक, छात्र नेता और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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