बीएचयू: रैगिंग का गढ़ बनता शिक्षण संस्थान?
हाल ही में यूजीसी के आंकड़ों ने सबको चौंका दिया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में रैगिंग के मामले देश में सबसे ज्यादा हैं। पिछले एक दशक में यहां रैगिंग के 72 मामले सामने आए हैं।
मेडिकल संस्थान: रैगिंग का सबसे बड़ा अड्डा
बीएचयू में रैगिंग के 60% से अधिक मामले मेडिकल संस्थान से सामने आए हैं। मेडिकल छात्रों ने कई बार सीनियर्स पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं।
छात्रों का दर्द: मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना
रैगिंग में छात्रों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें गालियां दी जाती हैं, कपड़े उतरवाए जाते हैं और भेदभाव का शिकार बनाया जाता है।
एंटी-रैगिंग सेल: कितना कारगर?
बीएचयू ने 2023 में एंटी-रैगिंग सेल का पुनर्गठन किया था। लेकिन इसके बावजूद रैगिंग के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
क्या है समाधान?
रैगिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। छात्रों को जागरूक करना, एंटी-रैगिंग सेल को मजबूत बनाना और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना जरूरी है।
बीएचयू की साख पर सवाल?
रैगिंग की बढ़ती घटनाओं ने बीएचयू की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए।
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