कीमत तो बढ़ाई लेकिन समोसे का साइज छोटा कर दिया,छोटू से करवाते है बाल मजदूरी : BHU के दुकानदारों के तानाशाही पर आम स्टूडेंट्स और स्टाफ के पक्ष से कोई सुधि लेने वाला कोई नहीं।


कीमत तो बढ़ाई लेकिन समोसे का साइज छोटा कर दिया,छोटू से करवाते है बाल मजदूरी : BHU के दुकानदारों के तानाशाही पर आम स्टूडेंट्स और स्टाफ के पक्ष से कोई सुधि लेने वाला कोई नहीं।


विगत कुछ दिनों से बीएचयू के दुकानदारों और छात्रों के बीच तनातनी चल रही है। कारण आप जानते ही हैं। दोनों तरफ से एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी लगाये जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर लगातार दुकानदारों और छात्रों के बीच बातचीत के माध्यम से हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मामला अब लगभग तूल पकड़ लिया है। एक तरफ जहां दुकानदार हॉस्टल के बदमाश छात्रों से जबरन चंदा वसूली के विरोध में दो दिन अपनी दुकानों को बंद रखा वही अब बीएचयू के आम स्टूडेंट सोशल मीडिया के माध्यम से दुकानदारों द्वारा किए जा रहे शोषण को सोशल मीडिया पर लगातार उठा रहे है।


आम छात्रों ने दुकानदारों पर क्या आरोप लगाया: -

कीमत तो बढ़ाते है लेकिन क्वालिटी नही सुधारते:-

विश्वविद्यालय के आम छात्र जिनको केवल पढ़ाई लिखाई से मतलब है उनका यह कहना है कि विश्वविद्यालय में चाय और समोसे की दुकान पर एक तरीके से तानाशाही चल रही है। अभी का 2 महीने पहले जहां समोसे का आकार बड़ा होता था और कीमत₹6 होती थी वहीं अब मूल्य ₹1 और बढ़ा कर सात रुपए कर दिया गया और समोसे का आकार भी छोटा कर दिया गया है। चाय की कीमत में भी ₹1 की बढ़ोतरी तो हुई लेकिन क्वालिटी में कोई सुधार नहीं है।

दुकानदार नहीं रखते हाइजीन का ध्यान :-

विश्वविद्यालय के आम छात्र जिनको केवल पढ़ाई लिखाई से मतलब है, उनका कहना है कि चंदा इच्छा अनुसार लिया जाता है किसी को डरा धमका कर नहीं। जबरन वसूली करना गलत है। लेकिन मूल्य के हिसाब से सामान ना देना भी कहां तक जायज है? एक ओर दुकानदार खाने पीने के समानो के मूल्यों में बेतहासा वृद्धि कर रहे हैं लेकिन क्वालिटी में कोई सुधार नहीं कर रहे। विश्वविद्यालय परिसर में स्थित खाने पीने की दुकानो में हाइजीन का जरा भी ख्याल नही रखा जाता। समोसे के आलू को जहां साइबर लाइब्रेरी के बाहर स्थित दुकान पर पैरों से आलू धुलते हुए छात्रों ने पकड़ा था वहीं VT पर स्थित भीम की चाय के दुकान के बगल में स्थित सुलभ शौचालय के चबूतरे पर समोसे ने भरे जाने के लिए आलू को धुला जाता है।

छोटू से करवाते हैं बाल मजदूरी: -

विश्वविद्यालय परिसर में स्थित जितने भी चाय, समोसा , कोल्ड कॉफी , छोले भटूरे इत्यादि खाने की दुकानें हैं वहां पर बाल मजदूरी करवाई जाती है। चाय समोसा परोसने से लगाया तो बर्तन धोने की भी जिम्मेदारी इन्हीं छोटू के कंधे पर होती है। जो दुकानो के मालिक के डांट सुनने से लेकर ग्राहकों की हिकारत भरी नज़रे भी झेलते हैं।

ग्राहकों से ठीक से नहीं करते बर्ताव:-

विश्वविद्यालय के आम स्टूडेंट जो यदा कदा ही इन दुकानों पर जाते हैं तथा नरम एवं कोमल स्वभाव के होते हैं । दुकानदार उनसे बेहूदगी से पेश आते हैं। दुकानदार कैंपस में मोनोपोली होने की वजह से तानाशाही रवैया अपनाते हैं।

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