श्रीमद्भागवतगीता के उर्दू अनुवाद पर शोध कराने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बना BHU.अब रामायण पर शोध कराने की तैयारी।


श्रीमद्भागवतगीता के उर्दू अनुवाद पर शोध कराने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बना BHU.अब रामायण पर शोध कराने की तैयारी।


बीएचयू के उर्दू विभाग में श्रीमद्भागवत गीता के अनुवाद पर गत वर्ष ही शोधकार्य पूरा हुआ तथा दीक्षांत समारोह में डिग्री मिली। गीता के उर्दू संस्करण पर शोधकार्य जम्मू के डॉक्टर बलविंदर सिंह ने किया है। अब बलविंदर रामायण के उर्दू अनुवाद पर शोध करने की तैयारी कर रहे हैं। डॉ बलविंदर उर्दू अनुवाद पर शोध किया और 103वे दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।


अब रामायण के उर्दू संस्करण पर शोधकार्य करेंगे बलविंदर:-

बीएचयू के उर्दू विभाग से पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता के उर्दू संस्करण पर शोधकार्य पूरा करने वाले डॉ बलविंदर अब रामायण के उर्दू संस्करण पर शोध कार्य करने को ठान लिया है। 
शोधकार्य काफी चर्चा का विषय बना हुआ है तथा ऐसा माना जा रहा है कि बीएचयू ऐसा करने वाला भारत का पहला विश्वविद्यालय बन चुका है।

जानिए कितना कठिन था गीता के उर्दू संस्करण पर शोधकार्य:-

 जम्मू के निवासी बलविंदर सिंह जो अब डॉक्टर बलविंदर सिंह जो चुके है,ने बताया कि "श्रीमद्भागवत गीता का 300 से अधिक लेखकों ने उर्दू में अनुवाद किया है। मैने अपने शोध के लिए 150 से अधिक लेखकों के उर्दू अनुवाद वाली गीता का अध्ययन किया। मेरे इस शोध का उद्देश्य यही था कि युवाओं को उर्दू अनुवाद के माध्यम से श्रीमद्भागवत गीता के सही उद्देश्य बताए जा सके। अब मेरा आगामी उद्देश्य यह है कि उर्दू विभाग के अध्यक्ष समेत अन्य शिक्षकों के सहयोग से रामायण के उर्दू अनुवाद पर अपने शोधकार्य को पूरा करूं।"


अंग्रेजो ने सबसे पहले किया था मूल गीता का अंग्रेजी में अनुवाद:-

पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता मूलतः संस्कृत भाषा में है ।जिसका अनुवाद अंग्रेजो ने एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल नमक संस्था के अंतर्गत सबसे पहले संस्कृत से अंग्रेजी में करवाया था। हालाकि की उसके बाद गीता इतनी प्रसिद्ध हुई की इसको दुनिया के विभिन्न भाषाओं में विद्वानों ने अनुवाद किया।

उर्दू विभाग के हेड आफताब अहमद आफाकी ने क्या कहा-

बीएचयू के उर्दू विभाग में वर्तमान समय में ug - pg और PhD में लगभग 250 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। इसमें 40 शोध छात्र हैं। इन्हीं में एक हैं जम्मू के मूल निवासी बलविंदर सिंह है जिन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के उर्दू अनुवाद पर शोध किया और पीएचडी की डिग्री हासिल की है। विभागाध्यक्ष प्रो. डॉक्टर आफताब अहमद आफाकी का दावा है कि श्रीमद्भागवत गीता के उर्दू अनुवाद पर देश के विश्वविद्यालयों में किया गया यह पहला शोध है।

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