BHU के दंत विज्ञान संकाय के छात्रों ने अपने विभिन्न मांगो को लेकर कर रहे हड़ताल व धरना प्रदर्शन

Students of BHU's Faculty of Dental Sciences are on strike and picketing for their various demands.
विभिन्न मांगो को लेकर कर रहे हड़ताल व धरना प्रदर्शन


BHU के दंत विज्ञान संकाय के छात्रों ने अपने विभिन्न मांगो को लेकर कर रहे हड़ताल व धरना प्रदर्शन



दिन की शुरुआत होते ही दांत का काम शुरू हो जाता है और रात सोने से पहले तक चलता रहता है , चाहे पाचन क्रिया में योगदान की बात करे या फिर व्यक्ति की सुंदरता की, दांत का काम उल्लेखनीय है।
जाहिर है जब दांत के सिर पर इतनी सारी जिम्मेदारियां होंगी तो दांत खराब व बीमार भी होगा , दांत खराब और बीमार होगा तो उसके लिए दांत के डॉक्टर की भी जरूरत पड़ेगी ही । 
लेकिन क्या हो अगर दांत के डॉक्टर ही समस्या में पड़ जाय? दांत के डॉक्टरों की ना ही पढ़ाई अच्छे से हो पाए और ना ही प्रैक्टिस? 
तब तो दिक्कत उन सभी लोगो को होगी न जिनके जिनके पास दांत है .


तो बात ये है की बनारस और आस पास के राज्यो  के लोगो के दांत का ख्याल रखने वाले दांत विज्ञान के छात्र परेशानी में है और उन्ही परेशानियों को दूर करने के लिए आंदोलनरत है।

आंदोलनरत दंत चिकित्सा विज्ञान के छात्रों की कुछ मांगे जो निम्नवत है।



1-हर साल अंतिम वर्ष के छात्रों को सिंगल ऑक्यूपेंसी रूम उपलब्ध कराया जाता था। लेकिन इस साल उन्हें विशेषाधिकार नहीं मिला है। जिससे फाइनल ईयर के छात्रों को दिक्कत हो रही है।इसके अलावा, दंत विज्ञान छात्रों को  बहुत सारे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है जैसे सुचारू रूप से पढ़ाई जारी रखने के लिए छात्रावास की सुविधा हो लेकिन इन छात्रों को हॉस्टल के लिए प्रशासन के बीच लगभग हर रोज दौड़ना पड़ रहा है,जबकि हॉस्टल के लिए ये इनसे फीस का पूरा भुगतान कराया जा रहा हैं।
 
Students of BHU's Faculty of Dental Sciences are on strike and picketing for their various demands.
विभिन्न मांगो को लेकर कर रहे हड़ताल व धरना प्रदर्शन

2-बीएचयू का दंत चिकित्सा संकाय देश में चौथे स्थान का सरकारी दंत चिकित्सा संकाय होने के बाद भी, इनको अपने नियमित पाठ्यक्रम के काम के लिए आवश्यक बुनियादी सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती है। जिससे इनको प्रैक्टिकल ज्ञान हो सके। और सबसे बढ़कर, इनकी अधिकांश दंत कुर्सियां(विशेष प्रकार की सुविधाओं से युक्त कुर्सी जिसपर बैठाकर मरीजों के दांत का इलाज किया जाता है) ​​भी काम करने की स्थिति में नहीं हैं और अपने बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रही है।

3-स्वच्छता की मूलभूत आवश्यकता को बिलकुल भी फॉलो नहीं किया जा रहा है। नौ में से केवल तीन विभागों के पास आटोक्लेव अर्थात ऐसा यंत्र जो ऑपरेशन में प्रयोग में लाए गए औजारों को स्वतः ही साफ कर देते है, बाकी  विभाग उपकरणों को सिर्फ उबालकर साफ करके काम चला रहे हैं और अन्य रोगियों पर इस्तेमाल करते हैं, जिससे नसबंदी के पूरे विचार को खत्म कर दिया जाता है।

4-स्नातकोत्तर (pg) सीटों की संख्या (24) प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसरों की कुल संख्या (18+7=25) से भी कम है। इनको प्रत्येक प्रोफेसर के तहत दो पीजी सीट और प्रत्येक सहायक प्रोफेसर के तहत एक पीजी सीट की मांग करते हैं, जिसमें कुल 43 सीटें हैं।

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