बीएचयू में फ़ीस वृद्धि के खिलाफ़ आन्दोलनरत छात्र-छात्राओं को धमकी भरी नोटिस को वापस लेने लिए भगतसिंह छात्र मोर्चा ने सौंपा ज्ञापन।
बीएचयू में फीस वृद्धि एवं सेंट्रल हिन्दू स्कूल में ई-लॉटरी सिस्टम के विरोध में धरना दे रहे छात्र-छात्राओं में से 9 को कल रातों-रात चीफ प्रॉक्टर ने नोटिस भेज दी। प्रशासन द्वारा धमकी भरे लहजे में भेजे गए नोटिस का संज्ञान लेते हुए भगतसिंह छात्र मोर्चा ने इसके खिलाफ़ आज चीफ प्रॉक्टर ऑफिस का घेराव आह्वान किया था।
फ़ीस वृद्धि वापस लेने की मांग को दोहराया!
ज्ञात हो कि फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान 6 अप्रैल को दर्जनों सुरक्षाकर्मियों द्वारा वहां मौजूद विद्यार्थियों पर बलप्रयोग किया गया और उल्टा व झूठा आरोप छात्र-छात्राओं पर लगाकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की गई।
इस आंदोलन में आंदोलनरत स्टूडेंट्स को धमकी भरे नोटिस भेजे गए जिससे गुस्साए छात्र-छात्राओं ने चीफ प्रॉक्टर ऑफिस को घेर लिया। प्रशासन के तानाशाही रवैया के खिलाफ भगतसिंह छात्र मोर्चा की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद ने प्रशासन को चेताया की आगे से इस तरह की धमकी भरी नोटिस छात्र-छात्राओं को न भेजे। वरना हम सभी बड़े आन्दोलन को मजबूत होंगे।
किसी भी देश का विश्विद्यालय व शिक्षण संस्थान संवाद व बातचीत से चलता है, जिसका पालन प्रशासन को संवेदनशीलता करना चाहिए। हम सभी यूनिवर्सिटी में ही पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं है न कि बाहर के हैं। हम फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन बीएचयू के अच्छे भविष्य के लिए कर रहे हैं, ताकि आगे भी गरीब माध्यम परिवार के बच्चे यहां पढ़ सके। लेक़िन फ़ीस वृद्धि के बाद गरीबो के बच्चे बीएचयू में नहीं पढ़ पाएंगे।
तो प्रशासन हम सभी के आंदोलनों को बदनाम करना बंद करे, कुलपति प्रो सुधीर जैन को चाहिए कि वो गाड़ी में बैठकर भागने की जगह छात्रों से उनकी समस्या पर बातचीत करें। दर्जनों गार्ड्स के रहते और हम पढ़ने- लिखने वालों स्टूडेंट्स से कुलपति को आखिर किस बात का भय व खतरा हो सकता है। हम सभी लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाले छात्र हैं , हम भी चाहते हैं कि प्रशासन हमसे धमकी व ताक़त के बल पर नहीं बल्कि संवाद के जरिए बातचीत करें। पूर्वर्ती कुलपति व चीफ प्रॉक्टर की भांति अगर वर्तमान कुलपति भी संवाद का माध्यम कायम रखते हैं तो हम सब मिलकर बीएचयू को सुचारू रूप से संचालित कर सकते हैं।
अंत में चीफ प्रॉक्टर के नाम से ज्ञापन दिया गया, जिसमें नोटिस को तुरंत प्रभाव से रद्द करने की मांग की गईं।
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