यूक्रेन में चल रहे युद्ध में भारतीय छात्र नवीन की मौत पर आक्रोश सभा आयोजित कर श्रद्धांजलि दिया गया। गुटनिरपेक्षता और शांति की अपील के लिए जॉइंट ऐक्शन कमेटी ने बीएचयू गेट पर किया प्रदर्शन



यूक्रेन में चल रहे युद्ध में भारतीय छात्र नवीन की मौत पर आक्रोश सभा आयोजित कर श्रद्धांजलि दिया गया। 
गुटनिरपेक्षता और शांति की अपील के लिए जॉइंट ऐक्शन कमेटी ने बीएचयू गेट पर किया प्रदर्शन।
  
बीएचयू गेट वाराणसी पर  जॉइंट ऐक्शन कमेटी ने यूक्रेन रूस युद्ध में फंसे भारतीय छात्र नवीन की मौत पर आक्रोश व्यक्त कर श्रद्धांजलि दिया। 

शांति, सद्भाव और भाईचारे के लिए प्रदर्शन किया गया। ज्ञातव्य है की यूक्रेन रूस में युद्ध हो रहा है जिसमें हजारों छात्र-नागरिक फंसे हुए हैं ।
युद्ध के भय के माहौल में हजारों भारतीय छात्र व उनके परिजन परेशान हैं। फंसे छात्र लगातार सरकार से गुहार लगा रहे कि उन्हें सुरक्षित निकाला जाए लेकिन सरकार कोई मदद नहीं कर रही। जिस कारण छात्र नवीन की मौत हो गयी। इस मौत का कौन जिम्मेदार है? 
आज सुबह भारतीय दूतावास ने भारतीयों के लिए एक सूचना जारी किया कि सभी लोग तुरन्त कीव छोड़ दें। बमबारी व चल रही गोलियों से बचने के लिए बंकरों में छुपे छात्रों में अफरा तफरी मच गई। बिना किसी व्यवस्था के ऐसा आदेश छात्रों को और परेशान करने वाला था। बहुत संभव है कि नवीन की मौत   मोदी सरकार की ऐसी ही लापरवाहियों से हुई है।
भारी मात्रा में जान माल की हानि और विस्थापन की ख़बरें भयावह माहौल बना रही है। यूक्रेन से आ रही तस्वीरें मानवता और सभ्यता के लिए चुनौती हैं।  

कार्यक्रम स्थल पर शांति प्रेम भाईचारे के नारे लिखे तख्तियाँ टाँगे छात्र नौजवान और बुद्धिजीवी चर्चा के विषय बने। युद्ध नहीं शांति चाहिए। हथियार नहीं , प्यार बांटिए के प्लेकार्ड जाते राहगीरों ने सराहना की। 

दुनिया भर के अमनपसंद लोग युद्ध की जगह शांति की अपील कर रहे है। बातचीत से समाधान निकालने के लिए पहल करने की बात कर रहे हैं। रुसी नागरिक सड़क पर उतरकर शांति कायम करने के लिए नारे लगा रहे हैं। रूस के 53 शहरों में 1700 से ज़्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने की ख़बर आ रही है। 

एक तरफ जंहा युद्ध का पागलपल है वंही दूसरी ओर हिंसा के जगह शांति की प्रेम की बात करने वाले लोग भी दुनिया में हैं। ऐसे लोग भेड़ नहीं हैं, रोबोट नहीं हैं। ये लोग सोच सकते हैं, महसूस भी कर सकते हैं। धारा के खिलाफ खड़े होने के लिए, युद्ध के खिलाफ खड़े होने के लिए साहस चाहिए। जो देश जितना साहसी होगा, वहाँ ऐसे लोग उतने ही ज़्यादा होंगे। आज की जो दुनिया है वैसी हमेशा नहीं थी। हिंसा और युद्ध थे लेकिन इतिहास में शांति प्रेम की बात को सम्मान दिया जाता था। राम रावण के युद्ध की बात थी तो राम के मर्यादा पुरुषोत्तम होने और शबरी के बेरों की भी बात थी। महाभारत का युद्ध था तो राधा कृष्ण का प्रेम भी था। महात्मा बुद्ध और ईसा मानवीय सभ्यता के फ्रंटलाइन लीडर हैं।


औपनिवेशिक लालचों और गुलामी की कहानी के बीच तो दुनिया ने नायाब हीरे महात्मा गाँधी की प्राप्ति की। बताइये भला ये दुनिया हिटलर और मुसोलिनी के लिए जाने जाने में गर्व महसूस करती है या महात्मा गाँधी के वंशज होने में गर्व की अनुभूति होती है ? अंग्रेजो की आततायी सरकार हो या हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदायिकता का विष , बापू ने अपने गले में सारा जहर उतारकर दुनिया को शांति का सन्देश दिया। 


आज़ादी के बाद समूचा ग्लोब दो बड़ी ताक़तों के बीच उलझा था । जवाहरलाल नेहरू ने सोवियत संघ और अमरीकी पक्ष के बीच एक तीसरा रास्ता निकाला जिसे गुटनिरपेक्षता कहा जाता है। ध्रुवीय शक्ति ताकतवर देशो बीच समूचे विश्व को गुटनिरपेक्षता की निति ने एक समान बैठा दिया। 

यूक्रेन रूस विवाद पर मुख्यधारा के मिडिया रिपोर्टो की आलोचना हुई। न्यूज चैनल पर वीडियो गेम के तरह परमाणु युद्ध की बात दिखाई जा रही है , ये आपत्तिजनक है। युद्ध से रूस यूक्रेन का जो नुकसान होगा वो वंही तक सिमित नहीं रहेगा। हमारे हज़ारो छात्र यूक्रेन में फंसे हुए है। अब उन्हें खाने पीने सोने की भी दिक्कत हो रही है। प्रतिदिन सेंसेक्स के आंकड़े गीर रहे है और आर्थिक नुकसान वैश्विक स्तर पर भयावह हो रहा है।

कार्यक्रम स्थल पर मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दिया गया तथा संयुक्त राष्ट्र संघ सहित वैश्विक मंचो से तत्काल हस्तक्षेप के मांग की गयी। नागरिको को भोजन पानी दवा सुरक्षा प्राथमिकता पर मुहैया कराए जाए और यथाशीघ्र क्षेत्र में शांति कायम किये जाने की जरूरत है। 

प्रदर्शन में मुख्य रूप से धनन्जय ,विकास ,सिंह ,शांतनु ,अनुष्का ,वंदना ,जय ,कपीश्वर, दिवाकर,नीरज,श्याम बाबू,मारुति, हर्षिका,सूरज समर्थ,मिथिलेश,जय मौर्या आदि उपस्थित रहे। 

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