BHU के आयुर्वेद संकाय में जूनियर छात्र-छात्राओं से रैगिंग का मामला।



BHU के आयुर्वेद संकाय में जूनियर छात्र-छात्राओं से रैगिंग का मामला।

BHU के आयुर्वेद में सीनियर छात्रों के द्वारा जूनियर्स के साथ रैगिंग का मामला सामने आया है। आज सुबह एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ आयुर्वेद संकाय के ही सीनियर अराजक तत्व, पढ़ने जा रहे छात्र-छात्राओं से गाली गलौज करते नज़र आ रहे हैं। ज्ञात हो कि BHU में सभी क्लास ऑफलाइन चल रहे है। 

BHU सन 2012 से रैगिंग के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है लेकिन IIT, मेडिकल में रैगिंग का मामला आम है। ऐसी घटनाओं में BHU प्रशासन और सीनियर छात्र कार्यवाही के बजाय मामले को रफा दफा करने में रहते हैं।

चिकित्सा विज्ञान संकाय के छात्र जब भी अपने क्लास करने या क्लास स वापस आते हैं तो आते और जाते समय उनके लाइन के आगे पीछे प्रोक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षा गार्ड साथ चलते रहते हैं। तब भी ऐसी घटना हो जाता है। और सुरक्षा गार्ड मूकदर्शक बनकर खड़े रहते हैं।




ऐसी घटना जब कभी सामने आता है तो अक्सर देखा जाता है कि सीनियर छात्र से लेकर प्रोफेसर ,अधिकारी सब इन मामलों को दबाने में लग जाते हैं। इन मामलों में उल्टे जिस छात्र के साथ घटना होता है उसके डराया - धमकाया जाता है। उन्हें इंटरनल के नंबर, सेमेस्टर में फेल और कैरियर बर्बाद करने जैसा धमकी देकर उनके आवाज को बंद कर दिया जाता है।

BHU में एन्टी रैंगिंग सेल का हाल तो एकदम बदत्तर है। BHU के वेबसाइट पर एन्टी रैंगिंग सेल के कमेटी का कोई संपर्क डिटेल नही है और वेबसाइट पर काफी पुरानी कमेटी का डिटेल दिया गया है । जबकि नई कमेटी का गठन 2021 में हुआ था। जबकि एन्टी रैंगिंग सेल का नम्बर हर संकाय, डिपार्टमेंट ,सार्वजनिक जगह पर उनका नम्बर बोर्ड पर लिखा रहना चाहिए। 


नोट:- खबर लिखे जाने तक इस मामले में कोई करवाई नही हुआ है


रैगिंग का इतिहास

सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बैन
छात्रों के परिचय से शुरू हुई रैगिंग ने 90 के दशक तक यहां भी खतरनाक रूप अख्तियार कर लिया था। आंकड़ों की मानें तो वर्ष 1997 में तमिलनाडु में रैगिंग के सबसे ज्‍यादा मामले पाए गए। उसके बाद वर्ष 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया।

एंटी रैगिंग कानून
एंटी रैगिंग कानून के तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल की सश्रम कैद भी हो सकती है और दोषी पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं रैगिंग के मामले में कार्रवाई न करने या मामले की अनदेखी करने पर कॉलेज के खिलाफ भी कार्रवाई होगी और आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।

ऐसा व्‍यवहार माना जाएगा रैगिंग

यूजीसी ने कॉलेजों में रैगिंग के भयावह रूप को देखते हुए छात्रों के व्‍यवहार को लेकर कड़े नियम बनाए हैं। इसके तहत निम्‍न प्रकार के व्‍यवहार को रैगिंग माना जाएगा...

-छात्र के रंगरूप या उसके पहनावे पर टिप्‍पणी की जाए या उसके स्‍वाभिमान को ठेस पहुंचाई जाए।

-किसी छात्र का उसकी श्रेत्रीयता, भाषा या फिर जाति के आधार पर अपमान किया जाए।

-छात्र की नस्‍ल या फिर उसके फैमिली बैकग्राउंड पर अभद्र टिप्‍पणी की जाए।

-छात्रों से उनकी मर्जी के बिना जबरन किसी प्रकार का अनावश्‍यक कार्य कराया जाए।

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