स्वच्छ कैंपस की पहचान खो रहा है BHU, जगह-जगह पर मलबा का ढेर ,कैंपस में धूल और प्रदूषण की समस्या बढ़ रही

Pic- दैनिक भास्कर

BHU के पहचान की तमाम वजहें हो सकती है लेकिन एक पहचान साफ-सफाई और कैंपस की हरियाली भी है। जो आम जनमानस को तुरंत अपने ओर आकर्षित कर लेती है। BHU का सुव्यवस्थित बसावट और उसके चौड़ी-साफ सड़को के किनारे कतारबद्ध फलदार पेड़ो को पंक्तिया इसकी खूबसूरती और बढ़ा देते है।

लेकिन विगत कुछ दिनों से BHU कैंपस अपना खूबसुरती तेजी से खोते जा रहा है। परिसर में आपको जहाँ-तहा बिखरा कूड़े का अंबार दिख जाएगा। कइयों एकड़ में आपको निर्माण कार्यो का फैला मलबा दिखेगा। जिसके निस्तारन कि कोई सुधि नही लेने वाला है। ना ही विश्वविद्यालय के अधिकारी और ना ही छात्र।
क्यो फैल रहा है कचड़ा और मलबा:-
 
विश्वविद्यालय में पिछले कुछ बर्षो से बहुत तेजी से भवन निर्माण जैसे कार्य हुए है विश्वविद्यालय के सुविधा के लिए यह बहुत अच्छा भी है लेकिन उस निर्माण से निकले कचड़े का क्या? विवि के अंदर स्थित जोधपुर कालोनी,सीर गेट ,कर्मचारी हेल्थ सेंटर , स्विमिंग पूल इलाके ।के और नरिया गेट के आप पास आपको भयानक रूप से पसरा अनिस्तारित मलबा दिख जाएगा जिसकी चिंता किसी को नही है।

BHU परिसर का कितना बिगड़ गया है हालात:-
 कभी बनारस को ऑक्सीजन मुहैया कराने वाला BHU परिसर आज खुद प्रदूषण की चपेट में आ चुका है। हालत इतना खराब हो गया है BHU का Air quality index बनारस के सबसे भीड़भाड़ वाले जगहों में से एक माने जाने वाले अर्दली बाजार के Air quality index से भी नीचे गिर चुका है। जहॉ bhu का aqi 112 है वही अर्दली बाजार का Aqi 110 है।
क्या कहना है विश्वविद्यालय प्रशासन का:- 

विश्वविद्यालय के अंदर जिस विभाग के दायरे में कचड़ा निपटान का ज़िम्मा आता है ,उनसे विश्वविद्यालय परिसर में फैले कचड़े के बाबत 
पूछने पर हमेशा की तरह पहले गोल-मटोल जवाब देने का प्रयास किया। हालांकि उन्होंने बाद में कहा कि विश्वविद्यालय का कचड़ा निपटान सिस्टम जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा। अभी मलबा को एक जगह एकत्रित किया जा रहा है। टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है जल्द ही समस्या का हल कर दिया जाएगा।
हालांकि जब उनसे पूछा गया कि टेंडर प्रक्रिया कब तक पूरा हो सकता है तो इसपर प्रशासन एक निश्चित जवाब देने से बचता दिखा।

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