मरीज के लिये भगवान बने BHU के डॉक्टर, बिना चिर-फाड़ किये दिल की नस को कर दिया सीधा

BHU स्थित सर सुंदरलाल में 35 साल एक महिला की रेयर एंजियोप्लास्टी की गई।
BHU के IMS में 35 साल एक महिला की क्रिटिकल एंजियोप्लास्टी की गई।



कहा जाता है कि ,"डॉक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रूप होता है।" ठीक इसी बात को चरितार्थ किया BHU के सर सुंदर लाल अस्पताल के हृदय रोग स्पेसलिस्ट व हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ओमशंकर ने।

हुआ यूं कि शुक्रवार को सर सुंदरलाल हॉस्पिटल में 35 वर्षीय एक महिला सीने और हाथ मे तेज दर्द की शिकायत लेकर ईलाज के लिये डॉक्टर के पास आई थी। डॉक्टर ने बीमारी के गंभीरता का अंदेशा होते ही कुछ जरूरी जाँच लिखा(डॉक्टर ओमशंकर ने बताया कि महिला का एंजियोग्राफी टेस्ट कराया गया था)।
रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने बताया कि उक्त महिला के दिल के बायीं ओर के एक नस का लगभग 95% हिस्सा सिकुड़कर एकदम धागे जैसा हो गया था जिससे महिला को सीने और बाँये हाथ मे तेज दर्द की समस्या हो रही थी।


इस तकनीकी को कहते है एंजियोप्लास्टी:-

प्रोफेसर ओमशंकर ने बताया कि महिला के इलाज के तौर पर उनके सामने दो विकल्प थे। पहला यह कि महिला का बायपास सर्जरी करे या एंजियोप्लास्टी करे।
चुकि महिला की कम उम्र होने के कारण , icu का खर्च अधिक होने के वजह से और लंबे समय तक बचाव और देखभाल की समस्या को देखते हुए डॉ ओमशंकर और टीम ने ओपन हार्ट सर्जरी (बायपास सर्जरी) के जगह एंजियोप्लास्टी को चुना जो सफल रहा और महिला के नस के ब्लॉकेज को सफलता पूर्वक ठीक कर लिया गया। 

क्या होता है एंजियोप्लास्टी :- 
ओपन हार्ट सर्जरी जिसको बायपास सर्जरी भी कहते है उसमें शरीर के किसी एक अंग(प्रायः जांघ) में आपरेशन कर के नसों के माध्यम से हृदय में हुए ब्लॉकेज या ब्लॉकेज से संबंधित समस्याओं का निदान किया जाता है जिसमें बहुत महंगा खर्च उठाना पड़ता है ,मरीज का काफी ख्याल रखना होता है और यह प्रक्रिया भी काफी जटिल और समय लेने वाली होती है वही एंजियोप्लास्टी के बारे में डॉ शंकर ने बताया कि मरीज के हाथ पैर के नसों में इंजेक्शन डालकर फुलाया जाता है। इसके बाद उसमें स्टेट या छल्ला डाला जाता है। इस प्रक्रिया मे कोई भी चिर-फाड़ नही की जाती और मरीज भी दो दिन में ठीक हो जाता है।
और खर्च मात्र 50 हजार तक आता है।


धागे जैसी दिखनेवाली नस को  सभी नसों से मोटी बना दी। (दूसरी तस्वीर, लाल तीर के निशान को देखें और पहली तस्वीर से उसकी तुलना करें)।
तस्वीर 1

तस्वीर 2


इस के ब्लॉकेज मरीजों के साथ क्या होता है:-
इस के ब्लॉकेज वाले मरीजों को अचानक से सीने में दर्द जैसी समस्या होती है और कही भी चलते-फिरते घूमते हुए अचानक से इस बीमारी से ग्रसित मरीजो की मौत हो जाती है।

युवा पीढ़ी क्यो हो रही तेजी से शिकार:- 
डॉ ओमशंकर ने बताया कि दिल के नसों के ब्लॉकेज की समस्या ओल्ड एज की समस्या है जो लगभग 55से 65 आयु वर्ग के लोगो को प्रमुखता से प्रभावित करती है लेकिन हाल ही के कुछ वर्षों में यह युवा वर्ग को तेजी से आपना शिकार बना रही है और यह शोध का विषय है।

डॉ ओमशंकर ims bhu के हृदयरोग विभाग के विभागाध्यक्ष होने के साथ-साथ एक शानदार व्यक्तित्व के धनी भी है और अपने अच्छे कार्यो के वजह से हमेशा सुर्खियों में बने रहते है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ