BHU :- गंगाजल से होगा डेल्टा प्लस मरीजों का ईलाज, बीएचयू डॉक्टर्स ने बताई वजह


कोरोना के इलाज को लेकर अब गंगाजल पर बहस छिड़ गई है। कहा जा रहा है कि गंगाजल  में एक खास किस्म का वायरस होता है, जो कोरोना के विरुद्ध कारगर हो सकता है। इसके सही तथ्यों का पता लगाने के लिए म इलाहाबाद हाई कोर्ट  में एक याचिका दाखिल करके क्लिनिकल ट्रायल की इजाज़त मांगी गई है। जिसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार और ICMR से पूछा है कि इस मामले में कैसे आगे बढ़ाया जाए। कोर्ट की ओर से नोटिस जारी किए जाने के बाद इस पर शोध करने वाले BHU के डॉक्टर बेहद उत्साहित हैं और उनका दावा है कि यह डेल्टा प्लस पर भी कारगर है।

बीएचयू के डॉक्टरों का कहना है कि bacteriophage पर कई देशों में रिसर्च हुआ है। कई देश तो ऐसे भी हैं जहां इसका इस्तेमाल पेट खराब होने की समस्या, बुखार, सिरदर्द और पीलिया जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए भी होता है। जॉर्जिया ऐसा ही एक देश है, जहां बैक्टीरियोफेज का लंबे समय से प्रयोग हो रहा है। माना जाता है कि गंगा नदी में इस बैक्टीरिया की 1300 से ज्यादा किस्में मौजूद हैं। जो सीधे हिमालय से निकलते हैं। दावा किया जा रहा है कि वाराणसी के घाटों के किनारे रहने वाले गंगाजल पीने वाले और गंगा में नहाने वाले लोग कोरोना से बहुत कम पॉज़िटिव हुए। जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने नोटिस भेजकर अब इस संबंध में ICMR और भारत सरकार के एथिकल कमेटी से 6 हफ्तों में जवाब मांगा है। जिसके बाद से एक बार फिर 10 महीनों से रुके इस दावे को हवा मिल गई है कि गंगाजल से कोरोना का इलाज होगा और रिसर्च टीम के बीएचयू के डॉक्टर भी इससे काफी उत्साहित हैं।

गौरतलब है की कोरोना काल में ऑक्सीजन की खूब चर्चा हुई। दरअसल, एक तर्क ये भी है कि गंगाजल में ऑसीजन भारी मात्रा में होती है। इसके अलावा गंगाजल में पाए जाने वाले कॉपर – मैग्नीशियम- कैल्शियम- और ज़िंक जैसे खनिज भी प्राकृतिक रूप से इंसान की इम्युनिटी को बढ़ाते हैं। दो साल पहले हुई एक स्टडी में पाया गया था कि गंगाजल में 1,100 तरह के बैक्टीरियोफेज थे। जबकि यमुना और नर्मदा के पानी से जो नमूने लिए गए, उनमें बैक्टीरियोफेज की 200 से कम किस्में पाई गईं। इन्हीं तथ्यों को लेकर टीम ट्रायल की मंजूरी मांग रही है।

                     ✍🏻 शिवानी पटेल
       पत्रकारिता छात्र के साथ साथ स्वतंत्र लेखन

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