■ भगवान राम पर शुरू हुए दुनिया के पहले वर्चुअल विद्यालय स्कूल ऑफ राम संचालित करेगा राम नाम बैंक
■ हिन्दी,उर्दू,बांग्ला किसी भी भाषा में जमा करा सकते हैं राम नाम।
■ वर्ष प्रतिप्रदा से रामनवमी तक प्रतिवर्ष होगा राम नाम बैंक का लेखा जोखा
■ खाताधारकों को पास बुक की तर्ज पर दी जाएगी राम बुक
■ ऑनलाइन घर बैठे भी कम्प्यूटर, लैपटॉप,मोबाइल,टैबलेट पर राम नाम टाइप करके भी भेज सकते हैं राम नाम
सोमवार 28 जुन को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्या भारती के पूर्व छात्र प्रिंस तिवाड़ी द्वारा चलाए जा रहे भगवान राम पर दुनिया के पहले वर्चुअल विद्यालय स्कूल ऑफ राम के तत्वावधान में राम नाम के वर्चुअल बैंक का शुभारंभ मंगलाचरण एवं स्वस्तिवाचन के साथ परम पुजनीय गलतापीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित श्री स्वामी सम्पतकुमार अवधेशाचार्य जी महाराज,श्री गलता गादी, गालवाश्रम, जयपुर (राजस्थान) ने अपने करकमलों से किया।
स्कूल ऑफ राम के संयोजक एवं राम नाम बैंक के प्रबंधक प्रिंस तिवाड़ी ने बैंक का विस्तृत परिचय देते हुए बताया कि यह बैंक राम नाम का कर्ज देकर भवसागर से पार कर देने वाला अनोखा बैंक है जहां आदमी अपनी दैनिक, सांसारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से रूपए-पैसे का कर्ज लेेता है, वहीं आध्यात्मिक उर्जा, शांति, मोक्ष, कष्टों से निवारण एवं मनोकामना पूर्ति के लिए भक्त राम नाम बैंक से राम नाम का कर्ज लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि कर्ज के रूप में सवा लाख राम नाम लिखने का संकल्प पूर्ण करने पर मनोकामनओं की पूर्ति होती है।
इस बैंक की खासियत है कि अनादिकाल से लोग राम नाम लिखते आ रहे हैं, राम नाम बैंक ने जप माला के क्रम से 108 बार राम नाम एक पेज पर अंकित करने की विधि तैयार की है जो भारतवासियों को ही नहीं, दूर देश के कोने-कोने और विदेश तक भी पहुंचने वाली है। जैसे 108 बार व्यक्ति जप करता है, उसी प्रकार उसे कम से कम 108 बार नित्य राम नाम लिखना चाहिए। सदस्य बनने के लिए कोई आयु सीमा नहीं - राम नाम बैंक का सदस्य बनने के लिए कोई आयु सीमा नहीं, बस भगवान राम के प्रति मन में श्रद्धा-विश्वास होनी चाहिए। स्कूल ऑफ राम के राम नाम बैंक को मानव कल्याण विश्व स्तर का बनने हेतु अकेले एक आदमी के बस की बात नहीं है, इसलिए हर वो शक्स जो अपना समय राम बैंक के कार्य में देता है, वह इसका सदस्य बन सकता है। 3 से 6 वर्षों के बालक से 90 वर्ष के लोग भी लिख सकते हैं राम नाम। प्रतिवर्ष रामनवमी तक होगा लेखा-जोखा पूर्ण - राम नाम लेखन के पश्चात् भक्त वर्ष भर पुस्तिका बैंक में जमा करते रहेंगे। पहली बार जमा करने पर भक्तों को एक खाता संख्या प्रदान की जाएगी और उसके बाद हर बार उसी खाते में उनके द्वारा लिखित राम नाम का लेखा-जोखा चढ़ाया जाएगा। रामनवमी तक यह लेखा-जोखा पूर्ण हो जाएगा, रुपए-पैसे वाले बैंक 31 मार्च को अपना हिसाब-किताब बराबर करते हैं और राम बैंक नववर्ष प्रतिप्रदा से रामनवमी के दिन जो कि 31 मार्च के आस-पास पड़ती है, अपना लेखा-जोखा बराबर करेंगें। रामनवमी तक राम नाम को लाल और पीले रंग के वस्त्रों में लपेटकर राम भक्त परिक्रमा पथ बनाकर उसकी परिक्रमा भी कर सकेंगे।
आधुनिकता से भी जुड़ा है राम नाम बैंक - फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नैटवर्किंग साइट पर भी है राम नाम की गूंज होगी। आधुनिक युवा पीढ़ी को राम नाम की भक्ति से जोड़ने के लिए राम नाम बैंक इन्टरनेट पर, फेसबुक पर भी सक्रिय होगा। स्कूल ऑफ राम द्वारा राम नाम लिखने के नियम एवं ढेरों जानकारियां ई-मेल द्वारा भिजवाई जाएगी। राम नाम लेखन पुस्तिका इन्टरनेट से निःशुल्क डाउनलोड भी की जा सकेगी। सूचना तकनीक के अति आधुनिक होने से लोग घर पर ही बैठकर कम्प्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट पर ही राम नाम टाइप करेंगे और पेन ड्राइव आदि में सुरक्षित कर रामनवमी तक डिजिटल रूप में भगवान राम का नाम बैंक के मुख्य कम्प्यूटर में सेव कर सकेंगे या मेल कर सकेंगे। इस आधुनिकीकरण के जरिए कागज की बचत होगी और युवा पीड़ी भी धर्म-कर्म से जुड़कर अपनी रोजमर्रा के तनाव से मुक्ति पा सकेगी।
साथ ही प्रिंस ने बताया कि तारक मंत्र है राम नाम - मोक्ष प्राप्ति, शांति एवं आध्यात्मिक उर्जा ग्रहण करने के अनेकानेक माध्यम हैं, विभिन्न देवी-देवताओं की आराधना से व्यक्ति विशेष को आत्मविश्वास, सफलता, एकाग्रता एवं लक्ष्य की प्राप्ति होती है। उसमें सरल, व्ययशून्य, कलियुग में अत्यन्त प्रभावी है ‘राम नाम’। शास्त्रों में राम नाम को तारक मंत्र कहा गया है, यह लोक-परलोक दोनों को तारता अर्थात् संवारता है। राम नाम की परिक्रमा ब्रह्माण्ड की परिक्रमा समान है। लोग इस बैंक में विभिन्न भाषाओं में जमा कर सकते हैं राम का नाम - हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, अंग्रेजी आदि अनेक भाषाओं में राम नाम भक्तों द्वारा हस्तलिखित या टाइप फॉर्म में जमा कर सकते हैं। इस बैंक में भारत में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी अनेक श्रद्धालु हैं जो नित्य राम का नाम अपनी-अपनी भाषाओं में लिखकर जमा कर सकते हैं।
कार्यक्रम को सानिध्य प्रदान करते हुए गलतापीठाधीश्वर अवधेशाचार्य जी महाराज एवं युवराज स्वामी श्री राघवेन्द्र जी महाराज, श्री गलता पीठ ने स्कूल ऑफ राम को राम नाम बैंक जैसी अच्छी शुरुआत के लिए बधाई देते हुए राम नाम के महत्व पर प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम का प्रसारण स्कूल ऑफ राम के सॉशल मीडिया के सभी चैनल्स पर किया गया।
कार्यक्रम में स्कूल राम मे अध्ययनरत सभी भैया-बहिनों ने ऑनलाइन शिरकत की। धन्यवाद ज्ञापन स्कूल ऑफ राम के मार्गदर्शक सुधीर पारीक जी ने किया।
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