माहेश्वर तिवारी लिखते हैं कि -
"एक तुम्हारा होना देखो, क्या से क्या कर देता है,
बे-ज़ुबां छत - दीवारों को घर कर देता है"
मृगतृष्णा परिवार लाॅकडाउन में एक मक़ान बनाता है, जिसे घर बनाने का काम करती हैं, ग्रूप की तमाम महिला पत्रकार l
मृगतृष्णा दरअसल, बीएचयू के छात्रों द्वारा संचालित एक मासिक पत्रिका है, जिसने पूर्णतः मोबाइल पर दौड़ते हुए देश - विदेश के नामचीनों की नज़र और सराहना में घर किया है, और जिसके अभी तलक सात अंक प्रकाशित हो चुके हैं l
पत्रिका में अभी कुल 29 मेंबर हैं, जिनमें तीन लड़के, क्रमश: प्रिंस ( मुख्य संपादक), प्रत्यांश ( संपादक) और प्रत्युष रौनक ( संपादक) हैं l
वहीं ग्रूप की बाक़ी बची सभी 26 सदस्या, महिला पत्रकार हैं, जो कि बीएचयू के ही विभिन्न भागों की छात्रा हैं l
घर पर जिस प्रकार, माँ - बहन - भाभी इत्यादि मिलकर, खाना - पीना, साफ़ - सफाई, आॅफ़िस के काम, अखबार, धोबी, दूध के कामों के साथ साथ बच्चों को संस्कार से सींचने तक की सारी ज़िम्मेदारी अपनी अंजुरी में भर लेती हैं ठीक उसी प्रकार अपने निजी काम-काज, लिखाई - पढ़ाई के अलावा, पत्रिका परिवार में प्रबंधन - शोधकार्य - प्रूफ़ रीडिंग, कामों के बँटवारे और नियमित मिटिंग इत्यादि का काम पूर्ण रूप से वही तमाम 26 पत्राकार साहिबा लोग संचालित करती हैं l वो भी परफेक्शन की उसी हुनरमंदी के साथ जिस हुनरमंदी के संग कोई कारीगर ओढ़नी में सितारे पिरोता हो!
मृगतृष्णा मैगजीन आने वाले समय में मील का पत्थर शायद इसलिये भी साबित होगी क्योंकि इसी पत्रिका ने यूनिवर्सिटी कैम्पस के सामान्य बच्चों की क़लम से पत्रकारिता और जनसंवाद का दरिया निकाला है l जिसकी डंका एक साल के भीतर भीतर हीं.. संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर पेरिस दूतावास तक व कैलाश सत्यार्थी जी लेकर गणमान्य पदाधिकारियों तक बज चुकी हैं l
ये कहना ग़लत न होगा, कि मृगतृष्णा पत्रिका हम तमाम 29 बच्चों की भीतर के पत्रकार को नक्काश रही है l ठीक वैसे ही जैसे देता है कोई शिल्पकार, अपनी नक्काशी के बल पर पत्थर में से मुर्ति को जन्म l
देश की वर्तमान मीडिया पैनल में महिलाओं के आवागमन का संतुलन पटरी पकड़ रहा है l
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पत्रिका परिवार में मैनेजमेंट संभाल रहीं हैं - यशिका जी, चारू जी और गीतांजली जी l
वहीं साथ में टीम वर्क को संबल और शिल्प दे रहीं हैं - "अंजली जी, शैफाली जी, जैनब जी, दिक्षा जी, मान्या जी, कुमारी नंदनी जी, शाम्भवी राय जी, कस्तूरी जी, मेनका जी, फ़ातिमा जी, दिव्यांशी जी, वारिजा जी, कनिका जी, अमीषा जी, हर्षिता जी, ख़ुश्बू जी, पूजा जी, रूचि जी, शाम्भवी त्रिपाठी जी, कोमल जी, कविता जी, अन्नु जी" व अन्य l
इन तमाम महिला पत्रकारों के क़लमों का कच्चा कहन और प्रस्तुतीकरण, समय - तजुर्बा - और प्लैटफार्म की धीमी आँच पर सेंका जा रहा हैं, जिसका पका हुआ रूप अपने आप को आगामी वर्षों में मीडिया एजेंसी व लोक - कल्याण में लाकर ही रहेगा l
दरअसल, पत्रिकारिता में एक ख़ास बात ये हैं कि, ये इंसान को टीम वर्क सीखाती हैं, फैमिली वाली फिलिंग पैदा करती है व रचनात्मकता सीखाती है l
तीन लड़के और 26 लड़कियों की पत्रकारिता का एक परिवार, अपने आप में अनूठा है l
और अच्छी ख़बर ये भी है कि, दिन ब दिन ग्रूप में पत्रकारिता करने की चाह रखने वाली बेटियों की तादात में इजाफ़ा हो रहा है l इससे ज़ाहिर है कि पहले से पत्रिका के साथ काम कर रहीं इन तमाम बेटियों ने अपने काम से समाज और अपने कुनबों को प्रभावित करना प्रारंभ कर दिया है l
आज इतने ज़िन्दादिल, लोकमर्मी, जागरूक और प्यारे लोगों को पाकर मृगतृष्णा परिवार ख़ुद को समृद्ध महसूस करता है l
इंशाअल्लाह! पत्रिका परिवार के बीच का कनेक्शन - बांड और कार्यकौशल सदैव आबाद रहे l
दूरदर्शन पर आने वाली एक कविता इन्हें नज़्र -
कोई चेहरा है कोमल कली का,
धूप कोई सलोनी परी का,
इनसे सीखा सबक ज़िंदगी का,
नारियाँ तो हैं लम्हा ख़ुशी का l
ये अगर हैं तो रौशन जहां हैं ,
ये ज़मीनें हैं और आसमां हैं,
हैं वजूद इनसे ही आदमी का,
नारियाँ तो हैं लम्हा ख़ुशी का l
हमने रब को तो देखा नहीं पर,
अंश ये हैं ख़ुदा का ज़मीं पर,
एक एहसास हैं.. रौशनी का,
नारियाँ तो हैं लम्हा ख़ुशी का.. 3
- प्रत्यूष रौनक संपादक मृगतृष्णा पत्रिका
3 टिप्पणियाँ
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएं#मृगतृष्णा पत्रिका मुझे पूर्व में प्राप्त होता था परंतु अब नहीं मिल पा रहा है. कृपया 7389577615 पर प्रति भेजने की अपार कृपा करेंगे.
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