'असहमति' आजादी और लोकतन्त्र का प्राणतत्व है - प्रो आरपी पाठक

Prof R P Pathak Faculty of FSS BHU
प्रो. आरपी पाठक

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आज 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन और आल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस वाराणसी के सयुंक्त तत्वाधान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के गुर्टू छात्रावास में 'हम गांधी को क्यों याद करें?' विषयक संगोष्ठी आयोजित हुई। कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी जी के चित्र पर पुष्पांजलि के माध्यम से हुई, गुर्टू छात्रावास के अन्तःवासी शशि, अंकित व उनके साथियो ने गांधी जी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन को तेने कहिये' ने बहुत ही मधुर प्रस्तुति की।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ जागृति राही ने कहा “जिस तरह की परिस्थितियां 30 जनवरी 1948 को थी कमोवेश उसी प्रकार की परिस्थितियां आज भी है, हम गांधी को भूल नहीं सकते हैं, देश की हर समस्या के समाधन के लिये गांधीवादी विचार मार्गदर्शन देते हैं और हर मोर्चे पर गांधी के अनुयायी आज के दौर में भी सभी मोर्चो पर लड़ाइयां लड़ रहे हैं। गांधियन होने का मतलब आंदोलन के साथ उसमे रचनात्मकता होना आवश्यक है।”

प्रो आरपी पाठक ने कहा “ गांधी मात्र एक व्यक्ति नही हैं अपितु एक युग हैं।असहमति ,आज़ादी और लोकतंत्र का प्राणतत्व है, गांधी के चिंतन के केंद्र में मानव था, मानव कल्याण ही गांधी के चिंतन की आधारशिला थी, गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन में बदला, गांधी की हत्या शारीरिक हत्या नही बल्कि एक विचारधारा की हत्या थी, गांधी के स्वदेशी का सिद्धांत न सिर्फ भौतिकता से जुड़ा था अपितु उसका आध्यात्मिक पक्ष भी था, देश नारों से नही विचारों से चलता है है।”

प्रो रफल जमाल ने कहा कि, “गांधी जी ने न केवल भारत अपितु विश्व के अन्य देशों में भी प्रसिद्धि प्राप्त की, व्यक्ति की तरक्की अहिंसा से ही हो सकती है, गांधी की हत्या तो एक बार ही हुई पर उनके विचारों की हत्या का प्रयास रोज हो रहा है।”

डॉ अनुराग टण्डन ने कहा कि,“ स्वतंत्रता आंदोलन को गांधी जी ने ही एक दिशा दी, आंदोलन का एक प्रवाह बनाया जिसमें अनेक धाराएं आकर मिल गयी, बापू के योगदान को कोई दुष्प्रचार कम नही कर सकता।”

प्रो अमरनाथ पासवान ने कहा कि,“ सामाजिक समता और महिला सशक्तिकरण के लिए गांधी जी के प्रयासों को कभी भुलाया नही जा सकता।”

डॉ शार्दूल चौबे ने कहा कि, “गांधी जी की हत्या इतिहास का एक स्याह अध्याय है जब कुछ फासिस्ट ताकतों ने सत्य और अहिंसा के विचारधारा की हत्या का प्रयास किया, आज फिर वो सत्ता पर काबिज़ हैं

कार्यक्रम का संचालन विक्रान्त सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अवधेश सिंह ने दिया।

कार्यक्रम के दौरान एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव, डॉ विकास सिंह, डॉ शशिकांत यादव, अभिनव मणि त्रिपाठी, रितेश सिंह, राणा रोहित, कपीश्वर मिश्रा, ओमप्रकाश, शिवेंद्र नाथ शर्मा, ओम शुक्ला, धीरज सोनकर, प्रशांत पाण्डे, निशांत ऋषभ पाण्डेय, शिवम शुकला, वैभव त्रिपाठी, आनंद कुमार, छविंद्र, आदि छात्र मौजूद रहे।

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