रिश्ते में कितना सच है और कितना झूठ बहुत ही मुश्किल होता है :- प्रीति रावत


कभी-कभी यह जानना कि रिश्ते में कितना सच है और कितना झूठ बहुत ही मुश्किल होता है।  जैसे जब उसने मुझे बहुत देर तक देखते हुए कहा था कि तुम बहुत सुंदर हो ...  तो मुझे दुनिया में उससे बड़ा झूठा  कोई नहीं लगा और यह शब्द बड़े ही  खोखले  लगे । 

 फिर एक दिन  मेरा माथा चूमते हुए उसने कहा था कि "मुझे तुमसे  मोहब्बत है !"  अंदर ही अंदर मैंने उसे एक बड़े दर्जे का फ़रेबी बोला ,  शायद उसके कहे शब्द मुझे आज तक सच नहीं लगे....  सच लगा तो बस उसका माथा चुनना । बाकी मुझे याद भी नहीं कि उसने कौन-कौन से सुरों में पिरोकर  प्रेम की कौन - सी बात कही थी ।

वैसे भी बातों का क्या है कहने वाले ने कहीं , और सुनने वाले ने सुनी  । अब कहने वाले ने कितना कहा और सुनने वाले ने कितना सुना यह बता पाना मुश्किल है । 

रही बात कि मुझे इस रिश्ते में क्या सच  लगता है तो वो उसकी मुस्कान है..... ।  मुझे देखकर या मेरी  बातों पर  मुस्कुरा देने की बात के अलावा मुझे उसकी कोई बात सच नहीं लगती ।  अगर कोई कहे कि सच लिखो तो मैं  उसका मुस्कुराना लिखूंगी कोई कहे कि सच बनाओ तो मैं उसका मुस्कुराता चेहरा बनाऊंगी ,  कोई कहे कि सच दिखाओ तो मैं उसकी  एक मुस्कुराती तस्वीर दिखाऊंगी ।  इससे ज्यादा सच्ची कोई बात नहीं है मेरे पास ।

 दुनिया का सबसे बड़ा झूठ उसकी बातें हैं और दुनिया का सबसे बड़ा सच उसकी मुस्कान है , और इतना ही है सच और झूठ के बीच का फर्क मेरे लिए । 

              ✍️© -प्रिति

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