World Refugee Day : शरणार्थियों से जुड़ी 'नात्रे डेम कैथेड्रल ,पेरिस' के एक दरवाजे पर लगे इस 'Sanctuary Ring or Sanctuary Knocker' की क्या है कहानी? विश्व शरणार्थी दिवस पर विशेष:-

World Refugee Day : शरणार्थियों से जुड़ी 'नात्रे डेम कैथेड्रल ,पेरिस' के एक दरवाजे  पर लगे इस 'Sanctuary Ring or Sanctuary Knocker' की क्या है कहानी? विश्व शरणार्थी दिवस पर विशेष :

इस साल के शरणार्थी दिवस का थीम है 'Every Action Counts' (हर कार्य मायने रखता है)। हर साल संयुक्त राष्ट्र इसे 20 जून को मनाता है। UNESCO के विश्व धरोहरों में शामिल इस कैथोलिक गिरजाघर (Notre Dame de Paris)  के द्वार , जिसका नाम  'Portal of the virgin' है उसके ही दरवाजे पर ये कड़ी लगी है। ये उस वक़्त 'शरण का अधिकार' (The Right of Asylum) देता था। 12वीं से 13वीं शताब्दी के मध्य के इस गिरजाघर को बनने में तकरीबन 180 साल लगें (1163-1345) । ये नेपोलियन प्रथम के राजतिलक का भी गवाह बना और फ्रांस गणराज्य के बहुत से राष्ट्रपतियों की कब्रों का भी। 


साल 2015 में 'अलान कुर्दी' नाम के 3 साल के बच्चे की समुद्र किनारे लाल टीशर्ट और हाफ जीन में उल्टा पड़े हुए लाश सबने देखी होगी। मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर थी वो। सीरिया में ISIS के आतंक से परेशान होकर उसके परिवार जैसे ही हज़ारों लाखों परिवारों ने बेहतर जिंदगी की तलाश में यूरोपीय देशों का रुख किया । उस वक़्त 'यूरोपीय शरणार्थी संकट' में एक और चेन जुड़ गया। (ऑस्ट्रेलियाई सिंगर मिसि हिगिंस ने ' Oh ! Canada नाम से एक गाना भी आलान को ट्रिब्यूट में दिया था। : यूट्यूब लिंक  https://youtu.be/TsFaI0YlWU0 )


ठीक वैसी ही तस्वीर 2019 में भी आयी थी। सल्वाडोर के 'ऑस्कर अल्बर्टो' और उसकी 23 महीने की बच्ची 'वलेरिया' की। ऑस्कर और उसकी शर्ट में लिपटी वलेरिया दोनो 'रियो ग्रांद' नदी पार करके अमरीका के 'टेक्सास' और फिर कनाडा ,जाना चाहतें थें लेकिन नदी के तेज़ बहाव के कारण दोनों मारे गए । दूसरे किनारे से ऑस्कर की पत्नी ये सब देख रही थी। उस समय राष्ट्रपति ट्रम्प की कड़ी आलोचना हुई थी। कहा गया कि ये ट्रम्प की राष्ट्रवादी नीतियों का ही नतीजा था । ट्रम्प अमरीकन - मेक्सिको बॉर्डर सील करना चाहतें थें ताकि अवैथ तरीके से लोग ना आने पायें। लोगों ने बॉर्डर पर रेफ्यूजी कैंप्स के कागज़ी कार्यवाही की लंबी कतारों और उसके बाद कि अनिश्चितता से बचना चाहतें थें इसीलिए उन्होंने गैर-कानूनी तरीका चुना। 


मध्यकालीन इतिहास की किताबों से पता चलता है कि यूरोपीय देश अपने यहाँ शरणार्थियों को लेकर कितने उदारवादी थें। ये ऊपर 'Sanctuary Ring' उसी उदारवादी नीति का उदाहरण है।  उस समय चर्च और मिसनरियो को शरण देने का अधिकार ( The right of asylum ) था । 

सँयुक्त राष्ट्र के रिपोर्ट के मुताबिक विस्थापितों की कुल संख्या विश्वजनसँख्या का 3.5% है जो साल 2000 में 2.8 % थी। अभी भी बहुत से देशों के पास व्यवस्थित शरणार्थी कानून नहीं है। भारत उनमें से एक है। पिछले साल वर्तमान सरकार ने नागरिक संशोधन बिल भी लाया जिसको लेकर उत्तर-पूर्वी राज्यों में खासा नाराज़गी दिखी। कानून में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित कियें गयें गैर-मुस्लिम समुदायों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान था। विपक्ष और कुछ दूसरे गुटों ने माननीय उच्चतम न्यायालय में उसे चुनौती भी दी जिसका फैसला आना अभी बाकी है। अलग अलग देशों के राजनीतिक लाभ के चलते भी अब तक उचित और समावेशी शरणार्थी कानून नहीं बन पाया है । हमें ऐसे वैश्विक कानून और उसके सख्त और समान पालन की आवश्यकता है। 
                 ©✍️ निहाल गुप्ता

(लेखक बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत 'महिला अध्ययन और विकास केंद्र' के वर्तमान छात्र हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय राजनैतिक घटनाक्रमों में विशेष रुचि रखतें हैं।)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ