मेरी पहली उड़ान :- आशुतोष मिश्रा (विधि संकाय BHU)

मेरी पहली उड़ान

यह मेरे जीवन की छोटी सी कहानी वर्ष 2019 के जुलाई महीने की है जब मैंने दो विश्वविद्यालय की विधि की प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी । जिसमें से पहला था इलाहाबाद विश्वविद्यालय और दूसरा काशी हिंदू विश्वविद्यालय ,दोनों में मैंने प्रवेश ले लिया ,पर मेरे सामने एक समस्या थी कि इलाहाबाद से पढ़ाई करूँ या काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ,बस यही बात मुझे बार-बार मेरे दिमाक को परेशान कर रही थी ,चूंकि मुझे लगता था कि इलाहाबाद में हाईकोर्ट तथा ज्यूडिशरी की बहुत सी अच्छी अच्छी कोचिंग संस्थान है ,जबकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मैंने स्नातक किया था और वहाँ मैं लगातार तीन वर्ष रह कर वहाँ की सुंदर वातावरण से वाकिफ़ था , और मुझे वह सबसे ज्यादा अच्छा लग रहा था ,परंतु मैं कोई गलत निर्णय नही लेना चाहता था |
अगले दिन 11 जुलाई को मेरे जीजा जी जो कि एक सीबीआई ऑफिसर  के साथ-साथ मेरे प्रिय मित्र है वे हमेशा एक मार्गदर्शक के रूप में साथ निभाते है ,उन्होंने मेरा   15 जुलाई का टिकट कराया ,और मुझे कोलकाता आने के लिए कहा,मेरे लिए यह आश्चर्यजनक था कि यह टिकट किसी ट्रैन का नहीं बल्कि गोइंडिगो एयरलाइन्स का वाराणसी से पश्चिम बंगाल के बीच का था।
15 जुलाई को 7:30 बजे मेरी फ्लाइट से थी मैं 15 जुलाई का इंतजार कर रहा था औऱ सारी परेशानियों को जीजा के ऊपर छोड़ दिया था जो वो निर्णय लेंगे वही मेरे लिए अच्छा होगा ।


और वह दिन आ गया ,जिस दिन मुझे फ्लाइट पकड़नी थी यह मेरी पहली हवाई जहाज से यात्रा थी इसीलिए मैंने सारी तैयारियाँ पहले ही कर ली थी ,सारे कपड़े आवश्यक दस्तावेज रख लिए थे और फ्लाइट के समय से 5 घंटे पहले ही   हॉस्टल से निकल गया ,मैंने लंका(काशी हिंदू विश्वविद्यालय गेट )चौराहे से कैंट के लिए ऑटो लिया फिर वहाँ से बस के द्वारा लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बाबतपुर पहुँचा,मेरे साथ ही एक अन्य व्यक्ति थे जो कि नेवी के  थे  जिनकों चेन्नई की फ्लाइट पकड़नी थी हम दोनों बात करते एयरपोर्ट के अंदर तक गए  ,जहाँ पर हमारे टिकट और आधार कार्ड को चेक किया गया तब हम अंदर प्रवेश किये ,अंदर जाने पर हमें अपने बैग चेक करवाने थे हमने अपने बैग स्कैन करने वाली मशीन पर रख दिया मेरे बैग में कुछ गोलाकार की संदिग्ध वस्तु उनको लगी ,मैंने बैग खोला और पाया कि वह गरी का गोला है जिसे माँ ने बड़ी दी के लिए दिया था ले जाने के लिए , सुरक्षाकर्मियों ने उसे निकालने को कहा मैंने उसे निकाल कर वही रख दिया ,फिर मैं आगे बढ़ा उस समय करीब 04:30 हुए थे ,मैं गोइंडिगो के काउंटर पर गया जहाँ पर एक खूबसूरत महिला बैठी थी उन्होंने मुझसे मेरा टिकट और आधार कार्ड मांगा और बोला कि आप अपना बोर्डिंग पास प्रिंट कर के आए ,चूंकि यह सबकुछ मेरे लिए पहली बार था तो कुछ लोगों से पूछकर मैं बोर्डिंग पास प्रिंट करने वाली मशीन के पास गया मैंने मशीन के बगल खड़े सुरक्षाकर्मी से  बोर्डिंग  पास निकालने का तरीका पूछा उन्होंने बताया कि आप अपने टिकट का नंबर डालकर सीट चुनकर बोर्डिंग पास निकाल सकते है ।

चूंकि मैं पहली बार सफर करने जा रहा था इसलिए सोचा विंडो सीट लूँगा मैंने बोर्डिंग पास प्रिंट किया मेरी सीट 16 ई थी जो कि विंडो सीट थी। मैं बोर्डिंग पास लिया और पुनः गोइंडिगो के काउंटर पर गया तब वहाँ पर मेरे बैग का वजन किया गया जो कि करीब 17 kg था नियम के अनुसार आप 24 kg तक एक टिकट पर वजन ले जा सकते है उससे अधिक होने पर आपको अलग से चार्ज देना पड़ेगा,मेरे बैग पर मेरे नाम का टैग लगाकर उसे स्वचालित मशीन के द्वारा आगे भेज दिया गया मैं काफी समय तक सोच रहा था कि कब मेरा बैग मुझे मिलेगा ,जीजा ने बताया कि  जब कोलकाता एयरपोर्ट पर मैं उतरूंगा तब मुझे मिल जाएगा पर तब भी मन में थोड़ा सा डर था मुझे,मैं अपना बोर्डिंग पास लेकर आगे बढ़ा आगे मेरी पुरी बॉडी को मशीनो से चेक किया गया, फिर आगे बढ़ते हुए मैं प्रतीक्षालय कक्ष में जा पहुँचा तब तक 5:40 समय हो गया था वहाँ पर मैंने कई तस्वीरें ली।

मेरी आँखें घड़ी की सूइयों पर थी जैसे ही 6:45 पर हुए हमें गेट नम्बर 2 से  हवाईजहाज के पास जाने को कहा गया हम गेट नम्बर 2 से होते हुए गोइंडिगो 6E 716 फ्लाइट के पास पहुँचे मैंने वहाँ पर कई तस्वीरे ली ,फिर मैं अंदर प्रवेश किया मैंने प्रवेश करते ही सीट नम्बर ढूढ़ना प्रारंभ किया  चुकी यह मेरा पहला सफर था इसलिए  मुझे यह नही मालूम था कि सीट नम्बर कहा लिखा होता है बहुत ध्यान देने के बाद मैंने पाया कि सीट के ऊपर बने बॉक्स पर सीट नम्बर लिखा था जो कुछ इस प्रकार था ।
मैं अपनी सीट की तरफ गया पर मेरी सीट पर एक महिला पहले से बैठी थी मैंने उनसे अपनी सीट पर बैठने को कहा उन्होंने मुझसे निवेदन किया कि वह विंडो सीट पर बैठना चाहती है  मैंने उनको सहमति दे दी और मैं उनकी सीट पर बैठ गया। ऐसा लग रहा था कि वह भी पहली बार हवाई सफर की यात्रा कर रही थी पर मैंने अपने को उनके सामने ऐसा प्रदर्शित किया जैसे मेरा प्रतिदिन आना-जाना है 7:30 पर फ्लाइट ने उड़ान भरी मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा ,ह्रदय पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा था मैं हनुमान जी का नाम मन मे लेने लगा, मैंने देखा कि मेरे बगल बैठी महिला मुझसे भी ज्यादा डरी थी मैंने कहा कि आप पहली बार सफर कर रहे हो उनका उत्तर था कि हाँ यह पहली बार है मैंने कहा कि इसीलिए आपको डर लग रहा है मेरी तो आदत सी हो गई है उसी समय मैंने देखा कि मेरी सीट के ऊपर धुँए जैसा दिख रहा था
 मुझे पहले लगा कि आग लगने के कारण ऐसा हो रहा है पर बाद में मालूम चला  की ऑक्सीजन की आवश्यकता बनाए रखने के लिए ऐसा किया जा रहा है उसी समय कुछ खूबसूरत एयरहोस्टेस आयी और कई जानकारियाँ दी जैसे एग्जिट गेट, ऑक्सीजन मास्क ,सीट बेल्ट आदि उन्होंने किसी आपदा से निपटने के लिए तरीके बताए हम आकाश से अलग अलग शहरे की तस्वीरें ले रहे थें की अचानक मौसम ख़राब हो गया हमें कुछ झटके महसूस हुए मैं एकदम डर गया कि कही यह मेरी पहली और अंतिम  हवाई यात्रा तो नहीं है तभी सूचना दी गई कि सीट बेल्ट अच्छी  तरीके से बांध ले मौसम खराब होने के कारण कुछ झटके महसूस हो सकते है मैन सीट बेल्ट खूब कसकर बांध लिया, थोड़ी देर बाद मौसम ठीक हो गया और झटके भी अब नहीं आ रहे थे ,तभी एयरहोस्टेस ने नाश्ता देना शुरू किया मैंने भी एक सैंडविच और एक कॉफी की माँग की परंतु एयरहोस्टेस का कहना था कि आपको इसके लिए पहले से ही बुकिंग करनी थी मैंने कहा मैंने जल्दीबाजी में ध्यान नहीं दिया ,मुझे बहुत भूख लगी थी थोड़ी देर में ही हम कोलकाता एयरपोर्ट पर उतरने वाले थे सूचना दी गई कि सब लोग अपने सीट बेल्ट को कसकर बांध लें मैंने पहले से ही सीट बेल्ट बांध रखी थी बस मेरे मन में  भय था जैसे ही वह रनवे पर लैंड किया तेजी से  झटका महसूस हुआ मैंने दोनों हाथों से अपनी सीट पकड़ रखी थी मेरे बगल बैठी महिला भी अपनी आँखें भी बंद कर और पूरी शक्ति से अपनी सीट को पकड़ी हुई थी , एरोप्लेन के रुकने पर हमने उनसे कहा कि आप बहुत डरते हो लेकिन ये पहली बार है होता है थोड़ा डर लगता है ,मैंने अपने सीट बेल्ट को खोल कर जैसे चलना चाहा वैसे महिला ने निवेदन किया कि उसका सीट बेल्ट नहीं खुल रहा है मैंने उनकी सहायता की और उन्होंने मेरा धन्यवाद किया ,और हम नीचे उतर आए बाहर रनवे के पास बस के माध्यम से एयरपोर्ट के निकास द्वार तक पहुँचे और वही पर एक स्वचालित मशीन लगी थी जो वृत्ताकार चक्कर लगा रही थी जिस पर सभी के बैग थे मैंने अपना बैग लिया और एयरपोर्ट से  बाहर आ गया
 बाहर जीजा मुझे लेने आए थे उनके साथ घर पहुँचे और वहाँ कुछ दिन रहे और खूब मौज मस्ती की कई पार्क घूमे , वेलूर मठ, विक्टोरिया मैमोरियल  ,कालीघाट,ईडन गार्डन ,निक्को वाटर पार्क,हावड़ा ब्रिज,बिरला मंदिर,बिरला प्लेटेरियम और कई अन्य स्थान पर। इसी बीच हमने उन सभी विषयों पर भी बात की जिस कारण मैं थोड़ा सा परेशान था  प्रवेश को लेकर जीजा ने कई उच्च और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता और सीबीआई के अधिवक्ता तथा कई  न्यायाधीश से बात की सबने मुझे काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ने की सलाह दी मेरी सभी परेशानियां दूर हो गई थी वहाँ से प्रसन्न चेहरे के साथ वापस काशी नगरी आ गया और पढ़ाई शुरू कर दी आज मैं उन दिनों को याद कर खुश होता हूँ कि कितना सुनहरा पल होता है जो जीवन मे पहली बार होता है ।
                              
                            लेखक-आशुतोष    मिश्रा
                                  छात्र - विधि संकाय 
                                 काशी हिंदू विश्वविद्यालय

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