"आकाश" की कविताएं :- हवा और 5 साल गुजर गए

                            हवा
जब कल रात मैं करीब 11:14 pm सोया था तभी मेरे रूम में बाहर से आ रही ठंढी-ठंढी हवा जब अचानक मेरे शरीर से स्पर्श होकर निकली तभी मेरे माँ की याद आ गयी।
जब गर्मी के दिनों में मैं, पाप, माँ,छोटी बहन और दीदी छत पर सोते थे तो मैं माँ और पाप के पास सोता था। जब मुझे गर्मी लगती थी तो माँ पंखे से हवा करके मुझे सुला देती थी और जब मैं जब अपनी माँ से दूर हूँ तो वही हवा आज बही, जिससे मेरा मन माँ की यादों की तरफ दौड़ पड़ा,और जब मैं सोचता हूँ तो घर पर बिताये हुए हर एक पल की याद आती है। यह कथन सच ही कहा गया है-जितना मैं अपनी माँ के चरणों मे झुकता हूँ उतना ऊपर उठता हूँ। बहुत लोग ऐसे होतें हैं जो अपने माँ-बाप को बोझ मानतें हैं। आप जैसा अपने माँ-बाप के साथ करेंगे वैसा ही बेटा भी आपके साथ करेगा।
कुछ लोग लड़की पैदा नही करना चाहते हैं।
अरे!महाशय जब बेटी ही नही रहेगी तो बहु कहाँ से लाओगे। आगे चलकर बहुत कम ही लड़के अपने माँ-बाप की सेवा करतें हैं,पर मेरे हिसाब से लड़कियाँ ही सब कुछ हैं वही हमारी पूंजी हैं और वही हमारी सेवा।

        5 साल गुजर गए...🤔😩📝

 तू कैसी थी,मैं आज तक न समझ सका,
प्यार की पुड़िया थी,दिल की गुड़िया थी।
याद तो आती बहुत पर सामने मजबूरियां थीं,
चाहा था तुझे बहुत मगर दिलों के बीच भी कुछ दूरियां थीं।
तुझे देखकर मेरा यूँ मुस्कुराना,वे सब पल चले गए।।
             आज 5 साल गुजर गए...
दिल मे प्रेम वही है चाहे तू आज कहीं रहे,
मैं भूल न सका तेरा चेहरा,जहां रहे तू खुश रहे।
तू भले ही भूल गयी हो मुझे लेकिन दिल में तेरा बसेरा है,
मेरे लिए हर एक दिन सोच का सवेरा है।
वे अधूरे सपने उड़ चले गए।।
            आज 5 साल गुजर गए...
दिल टूट गया,एक बार तुझसे रूठ गया,
मैंने उसे मना लिया,फिर भी तुझे बसा लिया।।
मेरी प्यासी पथराई आँखे तुझे देखने को तरस गयीं,
मेरे होठ पुटक सुख गए।
मेरी नींद,चैन और ख्वाब कहीं उड़ चले गयें।।
             आज 5 साल गुजर गयें...
            ✍️© आकाश

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