शिल्पा सिंह की कविताएं:- न जाने क्यूं है तुझसे इतना प्यार और झूठा ही सही

।।न जाने क्यूं है तुझसे इतना प्यार।।

तेरा मुझसे अलग हुए अब जमाना हुआ, फिर भी न जाने क्यूं मेरा तेरी गली में आज भी जाना हुआ।

सब कुछ वैसा ही था वहीं गली वहीं रास्ते वहीं छत जहां घंटों खड़े होकर इंतजार किया करते थे पर ऐसा लगा जैसे अपना ही घर बेगाना हुआ।

हां अब मेरी फिक्र मत करना हम हर दर्द सह जायेंगे,पर अब हम भी वफ़ा को ना निभायेंगे,माना गलती तेरी नहीं थी,खता तो हमसे हुई , जानते हुए सब कुछ, फिर भी तुमसे मोहब्बत की, सज़ा तो मिलनी ही थी तोफे में हमें, मेरा तुझ जालिम से दिल जो लगाना हुआ,तेरा मुझसे अलग हुए अब जमाना हुआ फिर भी न जाने क्यूं मेरा तेरी गली में आज भी जाना हुआ।

वक्त गुजरते वक्त नहीं लगता, तेरा मेरा इश्क अब अफशाना हुआ,बिखर गया सब कुछ टूट कर, मेरा खुद से मिले जमाना हुआ, आंखें रात रोती रही,अरशा हुआ जब मेरा हंसना हंसाना हुआ,तेरा मुझसे अलग हुए अब जमाना हुआ फिर भी न जाने क्यूं मेरा तेरी गली में आज भी जाना हुआ।।

।झूठा ही सही।।

कभी तो मायूसी का परदा हटाया करो, 
झूठा ही सही मगर तुम मुस्कुराया करो।
ऐसे कोई नहीं समझेगा तुम्हें,
 यूं चुप ना रहो, अपने दर्द सबको बताया करो,
झूठा ही सही मगर तुम मुस्कुराया करो।
माना तेरी आदत है अकेले रहने की बिन कुछ कहे सब कुछ सहने की,
ख़ामोशी भली है पर कभी दिल खोलकर गुनगुनाया करो,
झूठा ही सही मगर तुम मुस्कुराया करो।
फूलों की खुशबू यूं ना मिलेगी,
बगीया खुद फूल चुनने भी जाया करो,
राहों में कांटे तो सबके हैं, 
उनके चुभने से ना घबराया करो,
झूठा ही सही मगर तुम मुस्कुराया करो।
यूं पथरीली राहों में ना डगमगाया करो, 
आहिस्ता आहिस्ता कदम बढ़ाया करो,
सांसों की खबर नहीं, यूं गम में ना जिंदगी बिताया करो,
खुशी हो या गम अपनी महफ़िल में हमें भी बुलाया करो,
झूठा ही सही मगर तुम मुस्कुराया करो।।


               ✍️ © Shilpa Singh Maunsh






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