बीएचयू की महिला नर्सिंग ऑफिसर का प्रधानमंत्री को भावुक पत्र– ‘स्पाउज़ल ट्रांसफर पॉलिसी’ की मांग ने बयां किया परिवार और ज़िम्मेदारी का संघर्ष


बीएचयू की महिला नर्सिंग ऑफिसर का प्रधानमंत्री को भावुक पत्र– ‘स्पाउज़ल ट्रांसफर पॉलिसी’ की मांग ने बयां किया परिवार और ज़िम्मेदारी का संघर्ष

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के नर्सिंग विभाग की एक महिला ऑफिसर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मार्मिक पत्र लिखकर देश भर के नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की पीड़ा को राष्ट्रीय स्तर पर सामने रखा है। पत्र की विषयवस्तु न केवल BHU बल्कि देश के हर मेडिकल संस्थान की हकीकत है, जहां हजारों दंपती (विशेषत: नर्सिंग सेक्टर में) अलग-अलग नगरों, दूरियों और शिफ्ट्स में कार्यरत रहते हैं, और पारिवारिक जीवन संकट में पड़ जाता है।

पत्र में क्या है भावनाएं?

बीएचयू की महिला नर्सिंग ऑफिसर की चिट्ठी में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित है। उसमें लिखा गया है, “मैं और मेरे पति दोनों हेल्थकेयर प्रोफेशनल हैं, नौकरी के कारण 850 किलोमीटर अलग-अलग शहरों में तैनात हैं। घर और नौकरी को संभालना बेहद मुश्किल हो गया है। बच्चों के रोने और घर सूना रहने दर्द हर दिन बढ़ता जाता है। क्या हमारे देश सेवा का इनाम यही है? 

उनकी मांग है कि भारत सरकार विशेषकर स्वास्थ्य मंत्रालय– देशभर के तमाम चिकित्सा संस्थानों में ‘स्पाउज़ल ट्रांसफर पॉलिसी’ (पति-पत्नी एक ही शहर में नियुक्ति) तत्काल लागू करे, जिससे परिवार मिल सकें, बच्चे बेहतर माहौल में बड़े हों और स्वास्थ्यकर्मी मानसिक रूप से स्वस्थ व सशक्त रह सके। “गरीबों और किसानों के बाद अब इन सफेद कोटधारियों के टूटे परिवारों को जोड़कर आप इतिहास रचें, जिसे पीढ़ियां तक याद रखें,” पत्र में भावुक अपील की गई है।

BHU और देशभर में ज्वलंत मुद्दा

यह केवल एक महिला नर्सिंग ऑफिसर की मांग नहीं, बल्कि BHU, AIIMS, अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, स्वास्थ्य केंद्रों– हर जगह कर्मचारियों का साझा दर्द है। नर्सिंग यूनियनों ने भी बार-बार ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर सरकार और मंत्रालय से संज्ञान लेने की मांग उठाई है। मंत्रालय ने दिक्कतें स्वीकार तो की हैं, लेकिन ग्राउंड पर ‘स्पाउज़ल ट्रांसफर’ पॉलिसी लागू नहीं हो पाई, मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है।

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