काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) की इकाई ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया। "राजनीतिक प्रतिनिधित्व और आरक्षण: महिलाओं को सत्ता और निर्णय-निर्माण में भागीदारी देने की वकालत" विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में छात्रों और नेताओं ने बाबासाहेब के विचारों पर विस्तार से चर्चा की। यह कार्यक्रम बीएचयू के सेंट्रल लाइब्रेरी ग्राउंड में आयोजित किया गया, जहाँ उपस्थित सभी लोगों ने डॉ. अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
बाबासाहेब के विचार आज भी प्रासंगिक: संजीव सिंह
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता संजीव सिंह ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बाबासाहेब के प्रगतिशील विचार आज भी आरएसएस के हिंदुत्ववादी विचारधारा के खिलाफ एक मजबूत दीवार की तरह खड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ने हमें वह शक्ति प्रदान की है, जिससे हम नफरत और विभाजनकारी ताकतों से मुकाबला कर सकते हैं। इसी कारणवश, भाजपा और आरएसएस लगातार संविधान पर हमला करते हैं, और हमें इन हमलों को विफल करने के लिए एकजुट होकर खड़े होने की आवश्यकता है।
सामाजिक न्याय के योद्धा: राहुल पाटले
संगोष्ठी के दौरान राहुल पाटले ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में आदिवासियों के खिलाफ हो रहे सत्ता-समर्थित अत्याचारों का मुद्दा उठाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई में बाबासाहेब का योगदान एक मील के पत्थर के समान है, जिसने हाशिए पर धकेले गए समुदायों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
हिन्दू कोड बिल और महिला सशक्तिकरण: सृष्टि पाण्डेय
सृष्टि पाण्डेय ने हिन्दू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण में बाबासाहेब के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए उनके लंबे संघर्ष को याद करते हुए कहा कि बाबासाहेब ने महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
भेदभाव के खिलाफ अटूट संघर्ष: प्रदीप प्रजापति
प्रदीप प्रजापति ने बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन के संघर्षों और उनके साथ हुए भेदभावों को सामने रखा। उन्होंने बताया कि किस प्रकार बाबासाहेब ने तमाम मुश्किलों और अत्याचारों का सामना करते हुए समाज में एक ऊंचा मुकाम हासिल किया और लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने।
महिलाओं के हितों के लिए उठाए गए क्रांतिकारी कदम: सुदीप्ति सिंह
सुदीप्ति सिंह ने डॉ. अंबेडकर द्वारा महिलाओं के हित में उठाए गए ऐतिहासिक कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि बाबासाहेब के प्रयासों के कारण ही महिलाओं को मातृत्व अवकाश (मैटरनल लीव) मिलना शुरू हुआ और उन्हें संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त हुआ।
सेंट्रल लाइब्रेरी में बाबासाहेब की प्रतिमा स्थापित करने की मांग
कार्यक्रम के समापन की ओर बढ़ते हुए, एनएसयूआई बीएचयू इकाई ने एक महत्वपूर्ण मांग रखी। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से बीएचयू के सेंट्रल लाइब्रेरी में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने का आग्रह किया ताकि आने वाली पीढ़ियां भी उनके विचारों और योगदानों से प्रेरणा ले सकें। सभा के अंत में, छात्रों ने हाथों में संविधान की प्रस्तावना लेकर एक मार्च निकाला, जो संविधान के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कार्यक्रम का सफल संचालन इकाई अध्यक्ष सुमन आनंद ने किया, और प्रियदर्शन मीणा ने सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और विश्वविद्यालय के गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे, जिन्होंने बाबासाहेब के विचारों को आत्मसात करने और उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
इस दौरान राणा रोहित, वंदना उपाध्याय, रेहान, अभिषेक, स्वीटी, आयुष, रोज,संध्या, रिया, पल, अनुराधा, रंजू, फिरदौस, प्रतिमा, अमृता, अंकित, अर्पिता, संध्या, कल्पना, खुशी, स्वीटी रानी, बबीता, अंजलि, पीयूष, प्रशांत, रवि, अविनाश, सूर्यकांत, आदित्य, केशव, प्रभात, अमृत, गौरव, शशांक, अमित, करण, रोशन, अश्विनी, शाहिद, प्रतीक, हेमंत, अमन, विमलेश, अखंड, किसलय, प्रीतेश, शशिकांत, हर्ष, आदित्य, जयप्रकाश, शिव, ऋषभ, सुधांशु, साहिल, अंकित, धर्मेंद्र, विकास, प्रिंस, दीपक, हनुमान, मुकेश, अरविंद, जंग बहादुर, गुलशन, अक्षय, विनीत, प्रवीण, अर्पित, अमन, प्रियांशु, शशांक, गौतम, विशाल, गौरव, नितेश, लक्ष्मी, अंकित, गुंजन, विजेता आदि मौजूद रहे।
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