इंसान कहें या मशीन, IIT BHU ने जनवरी 2025 में ऐसा रिकॉर्ड बनाया है कि देशभर की नजरें उन पर टिक गईं। मात्र 21 दिनों में 7 पेटेंट, 16 प्रोजेक्ट्स को 9.27 करोड़ रुपये की फंडिंग – ये आंकड़े नहीं, इनोवेशन की बुलंदियों की कहानी है। चलिए, आपको बताते हैं कैसे ये संस्थान टेक्नोलॉजी और रिसर्च के मामले में बना "गेम-चेंजर"!
पेटेंट्स का जलवा: 7 साल पुराने आवेदन को भी मिली हरी झंडी!
IIT BHU के रिसर्चर्स ने जनवरी में जो कमाल किया, वो किसी सुपरहीरो फिल्म से कम नहीं। 6 से 27 जनवरी के बीच 7 पेटेंट मिले, जिनमें कुछ तो सालों से लटके हुए थे।
- 2018 का सपना पूरा: 1 मई 2018 को फाइल हुए एक पेटेंट को 16 जनवरी 2025 को मंजूरी मिली। यह तकनीक कचरे को रिसाइकिल कर सिरेमिक बोर्ड बनाने की है, जो पर्यावरण को बचाएगी।
- ट्रैफिक लाइट की AI आंखें: 14 दिसंबर 2022 को आवेदन किया गया पेटेंट, जो ट्रैफिक सिस्टम को स्मार्ट बनाएगा, 14 जनवरी 2025 को अप्रूव हुआ।
- बांस से बनेगा इको-फ्रेंडली स्ट्रॉ: 2023 में आवेदन हुआ था, अब बायोडिग्रेडेबल स्ट्रॉ बनाने की तकनीक को मिली मान्यता।
इनके अलावा, एनर्जी स्टोरेज डिवाइस और रेडिएटिव कूलिंग कोटिंग जैसे पेटेंट्स ने दिखाया कि IIT BHU सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में कितना आगे है!
फंडिंग बूम: ISRO से लेकर DRDO तक, 16 प्रोजेक्ट्स को मिले 9.27 करोड़!
पेटेंट के साथ-साथ फंडिंग में भी IIT BHU ने धूम मचाई। ISRO, DRDO, ICMR जैसे बड़े संगठनों ने संस्थान के 16 प्रोजेक्ट्स को 9.27 करोड़ रुपये दिए।
- जल संकट का हल: NMCCG के प्रोजेक्ट को मिले 4.35 करोड़ रुपये से वाटर मैनेजमेंट के लिए डिसिजन सपोर्ट सिस्टम बनेगा।
- डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी: केमिकल प्लांट्स के लिए वर्चुअल मॉडल बनाने को मिले 1.10 करोड़।
- शहरों को स्मार्ट बनाएंगे: अर्बन स्मार्ट सॉल्यूशन प्रोग्राम भी फंडिंग लिस्ट में शामिल।
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