काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में आयोजित 104वें दीक्षांत समारोह में शिक्षा और संस्कृति का अनुपम संगम देखने को मिला। विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में अघोर परंपरा के चार महान संतों के नाम पर स्वर्ण पदक वितरित किए गए।
एम.ए. दर्शनशास्त्र में उत्कृष्टता पर सोनाली मिश्रा को स्वर्ण पदक
एम.ए. दर्शनशास्त्र में वर्ष 2024 में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली छात्रा सोनाली मिश्रा को दो स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। उन्हें अघोरेश्वर भगवान राम स्वर्ण-पदक और बाबा गुरुपद संभव राम स्वर्ण-पदक से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनकी शैक्षणिक मेहनत और दर्शनशास्त्र के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
बी.ए. दर्शनशास्त्र में मान्या नेगी को मिला सम्मान
वहीं, बी.ए. दर्शनशास्त्र में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली छात्रा मान्या नेगी को भी दो स्वर्ण पदकों से नवाजा गया। उन्हें अघोराचार्य बाबा कीनाराम स्वर्ण-पदक और बाबा राजेश्वर राम स्वर्ण-पदक प्रदान किए गए।
अघोर-परंपरा और बीएचयू का योगदान
अघोर-परंपरा भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का अभिन्न अंग रही है। इन पदकों के माध्यम से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने संतों की इस परंपरा को मान्यता देते हुए इसे शिक्षा के साथ जोड़ा है। यह सम्मान न केवल छात्रों की मेहनत को सराहता है, बल्कि नई पीढ़ी को भारतीय परंपराओं और दर्शनशास्त्र की गहराई को समझने के लिए प्रेरित भी करता है।
दीक्षांत समारोह: गौरव और प्रेरणा का संगम
104वें दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथियों ने छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति को समझना हमारे जीवन को समृद्ध बनाता है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इस आयोजन ने एक बार फिर साबित किया कि शिक्षा और परंपरा का संगम ही सही मायने में समाज को बेहतर दिशा प्रदान कर सकता है।
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