BHU में है वाराणसी का अनोखा रसेश्वर महादेव मंदिर: जहां दवाओं का होता है भोग

Mahadev Mandir rasheshwar Mahadev BHU Varanasi


वाराणसी का अनोखा रसेश्वर महादेव मंदिर: जहां दवाओं का होता है भोग



काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में है एक ऐसा मंदिर, जो न केवल अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता है, बल्कि आयुर्वेद और आध्यात्म के अनूठे संगम का प्रतीक भी है। यह है रसेश्वर महादेव मंदिर, जहां भगवान शिव को मिठाई की जगह दवाओं का भोग लगाया जाता है।

आयुर्वेद संकाय के रस शास्त्र विभाग में स्थित इस मंदिर की कहानी है दिलचस्प। प्रोफेसर आनंद चौधरी, जिन्होंने इस मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बताते हैं कि मंदिर का निर्माण भिक्षाटन के साथ हुआ। यह परंपरा महामना मदन मोहन मालवीय की विचारधारा से प्रेरित है।

मंदिर की सबसे खास बात है यहां की पूजा पद्धति। जब भी कोई नई दवा या भस्म तैयार की जाती है, उसे सबसे पहले भगवान शिव और धन्वंतरि को अर्पित किया जाता है। यह प्रथा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रासंगिक है।

Shivling Mahadev rasheshwar


कोविड-19 महामारी के दौरान, इसी मंदिर में तैयार किए गए काढ़े को भी पहले भगवान को समर्पित किया गया था। प्रोफेसर चौधरी का मानना है कि इस आध्यात्मिक प्रक्रिया ने दवा की प्रभावशीलता में योगदान दिया।

मंदिर परिसर की एक और विशेषता है इसका शांत वातावरण। यह स्थान छात्रों के लिए एक ओपन लाइब्रेरी की तरह काम करता है, जहां वे 24 घंटे अध्ययन कर सकते हैं। कई छात्रों ने यहां तैयारी करके सफलता प्राप्त की है।

BHU का आयुर्वेद संकाय, जिसकी स्थापना 1922 में हुई थी, भारत के सबसे पुराने चिकित्सा संस्थानों में से एक है। रसेश्वर महादेव मंदिर इस विरासत का एक जीवंत उदाहरण है, जो प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच सेतु का काम करता है।

Medicine Jo Mahadev ko bhog lagaya jata hai


आज भी, जब कोई नया शोध या दवा विकसित की जाती है, वैज्ञानिक उसे भगवान शिव को अर्पित करते हैं। 

 महादेव मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आयुर्वेद और आध्यात्म के समन्वय का एक जीवंत उदाहरण भी है। यह मंदिर BHU की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

HD photo rasheshwar Mahadev BHU








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