काशी विश्वनाथ मंदिर पर BHU के आर्कियोलॉजिस्ट की बात सुनकर सन्न हो जायेंगे आप : जानिए क्या कह दिया प्रोफेसर ने।
बीएचयू के पुरातत्वविद् श्री अशोक सिंह पटेल ने GPR सर्वे अर्थात ground penintrating radar सर्वे से प्राप्त तथ्यो को अध्ययन करके दावा किया है की ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने के 6 मीटर नीचे दो बड़े फर्श हो सकते है।इसके साथ ही 3 या 4 मीटर चौड़ा तहखाना और 2 मीटर चौड़ा कुंआ के भी अस्तित्व का अनुमान लगाया है। श्री अशोक सिंह पटेल जी का दावा है कि वहां तक अभी कोई नही पहुंच पाया है और ना ही किसी को इसकी जानकारी है। GPR तकनीकी से भले ही इसका इतिहास पता ना चला हो लेकिन लगातार उत्खनन से पुरातत्वविद् इसके इतिहास को ज्ञात कर सकते है।
कौन है अशोक सिंह पटेल :-
BHU में एक विभाग है जहां प्राचीन भारत के बारे में अध्ययन अध्यापन के कार्य के साथ ही प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए खुदाई करके सबूत जुटाए जाते है। खुदाई से प्राप्त सबूतों के आधार पर ही प्राचीन इतिहास का आकलन एवम् अध्ययन किया जाता है। श्री अशोक सिंह पटेल इसी विभाग में प्रोफेसर है एवम् उत्क्खनन कार्यों में महारत हासिल किए है। श्री अशोक सिंह पटेल को बनारस के इतिहास के बारे में काफी गहरी जानकारी है और इन्होंने बनारस में कईयों महत्वपूर्ण जगहों पर खुदाई करवाकर काशी के इतिहास को सबके सामने लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
अपनी अनुमान का आधार ASI के सर्वे को बनाया है :-
पुरातत्वविद् श्री अशोक सिंह पटेल ने तहखाने के 6 मीटर नीचे 2 फर्श होने की बात ASI द्वारा जारी किए गए नए सर्वे रिपोर्ट के एनालिसिस का कंक्लूजन निकाला है। जिसके पृष्ट संख्या 130 और 131 पर जीपीआर तकनीकी सर्वे के बिंदु क्रम 4,5 और 6 में उल्लेख है।
ASI के सर्वे रिपोर्ट में क्या लिखा है:-
ज्ञानवापी मस्जिद के ASI द्वारा जारी किए गए 839 पन्ने के सर्वे रिपोर्ट में कहा गया की मस्जिद से पहले यहां एक बहुत बड़ा हिंदू मंदिर था। ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने और दीवारों के सर्वे से कइयों ऐसे प्रतीक एवम् अभिलेखीय साक्ष्य प्राप्त हुए है जो इस मस्जिद के पूर्व में मंदिर होने का दावा करते है।
मस्जिद के पश्चिमी दीवार को देखे तो ऐसे लगता है जैसे किसी मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया हो।
बिना कुछ तोड़ फोड़ के भी खुदाई संभव :-
श्री अशोक सिंह पटेल ने आगे कहा की अगर इन जानकारियों से प्राप्त अनुमान को पुख्ता करने के लिए खुदाई की जानी चाहिए और इसके लिए मस्जिद के किसी भी भाग में तोड़ फोड़ किए बिना भी संभव है। इसके लिए मात्र 10×10 के एक ट्रेंच लगाने की जरूरत है। इस ट्रेंच में नीचे जाने पर हो सकता है की मंदिर के अवशेष के रूप में दीवार मिल जाए। ऐसे में पुरातत्वविद् की टीम यह पता लगाने में कामयाबी हासिल कर सकती है की मंदिर कब टूटा, क्यों टूटा तथा टूटने के बाद क्या क्या परिवर्तन आया।
बभनियाव और अगियाबीर का करा चुके है उत्खनन :-
श्री अशोक सिंह पटेल बनारस के दक्षिण में स्थित बभनियाव का उत्खनन करा चुके है जहां से एक बहुत बड़े एवम् प्राचीन शिव मंदिर के होने का अवशेष प्राप्त हुआ था। हालाकि महाशिवरात्रि के दिन बभनियाव से प्राप्त शिवलिंग की बेलपत्र से पूजा करने पर ASI ने प्रोफेसर अशोक सिंह पटेल को फटकार लगाई थी। श्री सिंह को एएसआई द्वारा फटकार लगाए जाने का कारण यह था कि किसी भी उत्खनन स्थल पर किसी प्रकार के कार्बनिक पदार्थ से दूर रखा जाता है। क्योंकि कार्बनिक पदार्थ उत्खनन से प्राप्त पुरावशेषों के कार्बन डेटिंग में गड़बड़ी उत्पन्न कर देते है और सही प्रकार से तिथ्यांकन संभव नहीं हो पाता।
कड़े पहरे में हुई जुम्मे की नमाज :-
ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के बाद पूरे बनारस में पुलिस प्रशासन अलर्ट रही। ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज़ अदा करने जा रहे नमाजियों से जब मीडिया ने जबरदस्ती बाइट लेने की कोशिश की तो नमाजियों ने कुछ बोलने से मना कर दिया। इसपर नमाजियों और मीडियाकर्मियों के बीच तीखी झड़प देखने को मिली।
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