बनारस हिंदू विश्वविद्यालय(BHU) ने NIRF 2023 के रैंकिंग में पांचवें स्थान पर, ओवरऑल रैंकिंग में ग्यारहवें स्थान पर रैंक हासिल ,देखिए अन्य कैटेगरी में कितना स्थान प्राप्त हुआ


बनारस हिंदू विश्वविद्यालय BHU, भारतीय राष्ट्रीय रैंकिंग (NIRF) 2023 के अनुसार विश्वविद्यालयों के श्रेणी में पांचवे स्थान पर स्थानांतरित हुआ है। इस अद्यतित रैंकिंग में यह एक स्तर ऊपर बढ़ा है जबकि 2022 में इसे छठवा स्थान प्राप्त था।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मान्यता सुनिश्चित की है और इस नई रैंकिंग में उपलब्ध उपग्रहों के आधार पर अपनी स्थानीयता और विश्वविद्यालय के गुणवत्ता को दर्शाने में सफल रहा है। विश्वविद्यालय को इस आकड़े के अनुसार ओवरऑल की कैटेगरी में 11वां स्थान दिया गया है।



बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में अपनी प्रगति का परिचय दिया है और इस क्षेत्र में 4वां स्थान हासिल किया है। मेडिकल क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय को 8वां स्थान प्राप्त हुआ है। इंजीनियरिंग में विश्वविद्यालय को 15वां स्थान और शोध में 16वां स्थान मिला है।इसके आगे, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को दंत चिकित्सा में 18वां स्थान और कानून में 22वां स्थान मिला है। विश्वविद्यालय की प्रबंधन क्षेत्र में रैंकिंग 56वें स्थान पर है।

यह रैंकिंग विविध क्षेत्रों में विश्वविद्यालय की प्रगति को मापने और मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न मापदंडों पर आधारित है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने इस रैंकिंग में अपनी संगठनात्मक क्षमता, शोध योग्यता, विश्वविद्यालय के छात्रों की सफलता और उनकी नैतिकता को दिखाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

यह रैंकिंग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है और यह विश्वविद्यालय नए उच्चतम स्तरों की ओर अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रेरित करेगा।

भारतीय शिक्षा मंत्रालय की एक पहल, राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचा (NIRF) भारतीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग करने के लिए एक प्रयास है। यह एक ढांचा है जो विभिन्न मापदंडों और मानदंडों पर आधारित होकर भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की रैंकिंग करता है। NIRF द्वारा प्रदान की जाने वाली रैंकिंग भारतीय शिक्षा संस्थानों की प्रदर्शन और गुणवत्ता की समग्र मूल्यांकन के रूप में कार्य करती है।

NIRF रैंकिंग विभिन्न पैरामीटर जैसे शिक्षण, सीखने और संसाधन, शोध और पेशेवर प्रथा, स्नातकोत्तर परिणाम, आउटरीच और समावेशीता, और प्रतीक्षा को मध्यम बनाती हैं। ये मापदंड संस्थानों की समग्र उत्कृष्टता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं।


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