जानिए ऐसा क्या हुआ है जो JNU नही कर पाया वो RGSC BHU ने कर दिखाया



काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का साउथ कैंपस, 'राजीव गांधी साउथ कैंपस' के नाम से जाना जाता है जो मिर्जापुर की खूबसूरत पहाड़ी वादियों में स्थित है और अपने बलबूते हासिल एक उपलब्धि के वजह से देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। मिर्जापुर स्थित बीएचयू के साउथ कैंपस में आजकल कुछ ऐसा हुआ है जो  देश के अन्य विश्वविद्यालय नही कर पाए है।

क्या उपलब्धि हासिल की है RGSC ने ;-

मिर्जापुर स्थित बीएचयू का यह कैंपस पहाड़ी इलाके में स्थित होने के कारण यहां पर पानी की बहुत विकट समस्या थी लेकिन अब यह कैंपस पेयजल के मामले को लेकर देश का पहला आत्मनिर्भर विश्वविद्यालय परिसर बन गया है। 2700 एकड़ में फैला Bhu का यह परिसर अपने बेहतर जल प्रबंधन के वजह से आज यह सफलता हासिल कर पाया है। पेयजल को लेकर परिसर को आत्मनिर्भर बनाने में विश्वविद्यालय प्रशासन का बहुत ज्यादा जोर था।


कितना मुश्किल था यह उपलब्धि हासिल कर पाना:-

विंध्यांचल की पहाड़ियों में स्थित bhu का यह राजीव गांधी साउथ कैंपस बनारस से लगभग 70km की दूरी पर स्थित है। हालाकि मिर्जापुर गंगा नदी के तट पर भले ही बसा है लेकिन पथरीली जमीन होने के कारण पेयजल की बहुत विकराल स्थिति थी।  Rgsc की स्थापना मिर्जापुर के बरकच्छा में जब हो रही थी तब तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता था जिसमे पेयजल की समस्या सबसे बड़ी थी। स्थापना के समय मौजूद रहे कर्मचारियों , मजदूरों और अधिकारी बताते हैं कि दिन भर के लिए पानी बनारस स्थित मैन कैंपस से ही लेकर आना होता था और गलती से भी दिन में अगर पानी कम पड़ जाता था तो काम छोड़  के बैठना पड़ जाता था या फिर प्यासे रहना पड़ता था।
हालाकि आज की ये खबर सुनकर वो सारे लोग जो कभी Rgsc के नीव का पत्थर रख रहे थे , बातो ही बाते में उनके चेहरे पर एक मुस्कान उभर कर आ जा रही थी।



Rgsc कैसे हो पाया पेयजल को लेकर आत्मनिर्भर:-


कभी जल के एक एक बूंद खातिर तरसने वाला bhu का मिर्जापुर स्थित राजीव गांधी साउथ कैंपस आज पेयजल को लेकर देश का पहला आत्मनिर्भर परिसर बन गया है लेकिन यह शुरू से आसान नहीं था । 
विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही जल संरक्षण को लेकर यह परिसर काफी जागरूक रहा और जल संसाधन के बचाव हेतु 2700 एकड़ के इस परिसर में डैम बनाना शुरू कर जल को संरक्षित करना शुरू किया। 
और आज rgsc में कुल 9 चैक डैम मौजूद है जो जल को बर्बाद होने से बचाते है और rgsc के भविष्य को सुरक्षित करता है।

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