Madhavrao Sadashivrao Golwalkar |
जयंती विशेष: BHU जहाँ से निकले 'गुरुजी' और महामना ने संघ में करवाया प्रवेश
आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर "गुरुजी" की जयंती हैं,उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ही स्नातक और स्नातकोत्तर प्राणीशास्त्र में की फिर मालवीय जी के आमंत्रण पर यही आकर शिक्षा देना प्रारंभ किये।
अपने वेतन के पैसे से निर्धन छात्रों का शुल्क भरते थे ताकि उनके शिक्षा में रुकावट न हो,इस कार्य के कारण वो छात्रों व शिक्षकों में काफी मशहूर थे और बाकी शिक्षक भी उन्हें आदर से गुरुजी ही बोलते थे।गुरुजी मालवीय जी के कार्य पद्धति से अत्यंत प्रभावित थे और महामना भी उनसे प्रभावित थे जब संघ के सरसंघचालक डॉ साहब का आगमन विश्वविद्यालय में हुआ तो मालवीय जी ने ही गुरुजी को उनसे मिलवाया तथा गुरुजी के राष्ट्रप्रेम के बारे में बताया,आगे चलकर गुरुजी ही संघ के द्वितीय सरसंघचालक भी बने जिन्होंने संघ को एक नई उचाईयों तक पहुचाने हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया,ज्ञान हो कि गुरुजी अपने पिता के इकलौते संतान थे।
सम्पूर्ण देश में आज भी गुरुजी की गिनती महान मनीषियों में होती हैं तो किसी भी विचार का व्यक्ति उन्हें आदर से गुरुजी ही संबोधित करते हैं।
✍️© यह आर्टिकल हमारे एडिटर रजनीकांत गुप्ता के द्वारा लिखा गया है।
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