सोशल मीडिया के दूरबीन से कोरोना काल के इस BHU को निहार रहे प्रथम वर्ष के प्यारे अनुज साथियों आप सब को प्रणाम , कैसे है आप सब ? उम्मीद है सबलोग कुशल मंगल होंगे | मैं भी ठीक हूँ .
सोशल मीडिया के माध्यम से प्रथम वर्ष के कुछ छात्रों से जुड़ा हुआ हूँ, कृष्ण जन्माष्टमी पर लिखे एक लेख के कारण बहुत से अनुज सोशल मीडिया पर मित्र बने . कल से सब एकहि सवाल कर रहे है भैया BHU वसंत पंचमी के दिन भी नही खुला . बताइये कुछ इसके बारे में BHU में ये कैसे मनाया जाता है?
ये सवाल ऐसा है कि इसका जवाब दे पाना मुश्किल है कारण सिर्फ ये है कि संवेदना को कागज़ पर उकेर पाना सबके लिए सम्भव नही है ,मेरे लिए भी.
ये बता पाना बड़ा मुश्किल है किसी धर्म का ये त्योहार BHU में सबके लिए इतना मायने क्यो रखता है ? उनके लिए भी जो इस धर्म को नही मानते है और उनके लिए भी जो किसी धर्म को नही मानते है .
आप आप घर बैठकर जितना BHU को Miss कर रहे है न BHU भी उतना ही आपको भी MISS कर रहा है जानते है क्यो ? क्योंकि आजके दिन BHU में झांकिया निकलती है , झांकिया बनाने से लेकर उसे टहलाने तक का सारा काम तुम 1st year के बच्चे ही तो करते हो , बाकी सब भैया लोग इस बनाई हुई झांकी पर भौकाल झाड़ते है कि अपने ही फैकल्टी की है छोटे भाइयों ने बनाई है .
इसदिन पता चलता है bhu कितना विशाल है 🌺 जहां पहली झांकी में डेंटल के डॉक्टर साब लोग सुर्ती, खैनी, गुटखा की विशेष महत्ता पर बात रखते है , अंतिम वाली ट्राली पर बैठकर agri फार्म के चाचा लोग फगुआ गाते जोगीरा ललकारते हुए मिलते है ।
बीच बीच मे भाषा, साहित्य और मानविकी विषयो को पढ़ने वाले साथी सब डायनामाइट का प्रचार करते हुए मिल जाएंगे, साथ ही अपनी झांकी से समाज को शांति का संदेश देते हुए भी, वो क्या है न कि शक्ति का संतुलन बना रहना रहना चाहिए l
झांकियों के बीच मे कही से एक स्वर में श्लोक गाने की आवाज़ आएगी .समाज मे विज्ञान के महत्व को समझाने वाले लोग अपनी झांकी के साथ मिलेंगे .
ये सब बात मुलाकात हो ही रहा होगा कि तबतक mmv चौराहा आ जाएगा . और झांकी के साथ चलने वाले dj को पता नही कैसे पता होता है यहां मजमा लगने वाला है ,बिना बोले ही dj वाले बाबू कुछ झनकार टाइप बजाने लगते है अगले दिन पता चलता है कि उ dj नही था फलनवा का दोस्त था , इसी लिए बुलाया ही गया था 😂,
और वहां का माहौल कैसा होता है ये इस साल के 1st ईयर वाले बच्चे ज्यादे समझ रहे होंगे, काहे की इस दृश्य के तमाम वीडियो यूट्यूब फेसबुक पर है न , और वहीं देख देख के तो दिन काट रहे हो तुम लोग . बाकी उसदिन चौराहे पर जितना फ्रेंडली माहौल दिखता है न गुरू , उतना यूनिवर्सिटी में है न तो मन मे ज्यादे कपोल कल्पना पालन मत ठीक न 😂😂
उसदिन पता चलता है कि टीम वर्क क्या होता है dj के ऊपर बैठे हुए भैया कौन सा नारा लगा रहे है ये बिना सुने हाव भाव से पता चल जाता है और फिर नीचे की जनता जनता जो सुर मिलाती है न कि dj साउंड बौना साबित हो जाता है .
फिर वो नारा हर हर महादेव का हो या आर्ट्स फैकल्टी डायनामाइट का , या फलाने भैया की जय वाला 😂😂
इन्ही सब के बीच आप पाते है शाम हो गई फिर vt, घाट, लंका लंका जाइये लगेगा कि पूरे बनारस में bhu तैर रहा
है l
कृष्ण जन्माष्टमी में आप BHU के होते है और वसन्त पंचमी आते आते आप पूरे बनारस के हो जाते है ।
✍️© दीपक राजगुरु
लेखक बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत राजनीति विज्ञान के पूर्व छात्र हैं। वर्तमान में छात्र राजनीति के सितारें हैं। उसके साथ साथ स्वतंत्र लेखन व समाजसेवा में सक्रिय हैं।
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