बेरोजगारी के खिलाफ़ युवाओं का हल्ला-बोल


आज बनारस में ताली थाली का इस्तेमाल करते हुए रोजगार  पर बढ़ते हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। विरोध प्रदर्शन लंका गेट,बीएचयू पर किया गया।  भगतसिंह छात्र मोर्चा से नीतीश ने इस प्रदर्शन में सभा का संचालन किया।छात्रों ने अपनी बात रखते हुए बताया कि लंबे समय से देश के अंदर बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, लेक़िन सरकार इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। ऊपर से रेलवे और अन्य सार्वजानिक उपक्रमों का तेजी ने निजीकरण करने में लगी है। रेलवे जो अकेला 14 लाख युवाओं को रोजगार देता था उसको भी बेचा जा रहा है। SSC न ही नियमित बहाली कर रही न है समय से परीक्षा ले रही है। हालत ऐसी है की 2017 वाली वैकेंसी भी अभी तक लटका हुआ है। इस लॉकडाउन में करोड़ो लोगो ने नौकरियों से हाथ धो दिया है। ऐसी भयावह स्थिति को देखते हुए सरकार द्वारा किसी तरह का समाधान नहीं किया जा रहा है। देश में 65% युवा आबादी है लेक़िन अधिकतर के पास रोजगार नहीं है। आये दिन युवा और छात्र इस बेरोजगारी के तंग आकर आत्महत्या कर रहे हैं। लेक़िन सरकार इतनी निकम्मी हो गई है वो सिर्फ़ पूंजीपतियों को मुनाफ़ा पहुँचा रही है। देश की जीडीपी गिर रही है और मुकेश अम्बनी की संपत्ति बढ़ रही है। आज युवाओं के पास सड़क पर उठकर अपने हक़ और अधिकार की लड़ाई लड़ने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। नई शिक्षा नीति 2020 भी निजीकरण को बढ़ावा देने के पक्षधर है,जिसका भी मुखरता से विरोध जरूरी है। क्योंकि अगर आज भी हम सब चुप रहे तो देश का भविष्य नष्ट हों जाएगा। इसलिए सभी युवाओं को जाति-धर्म के बंधन कों तोड़कर सड़क पर आना होगा तभी हम एक जुट होकर अपने हक़ अधिकार को रक्षा कर पाएंगे। सबको शिक्षा सबको काम, वरना होगी नींद हराम, निजीकरण मुर्दाबाद, नई शिक्षा नीति रद्द करो,मोदी सरकार होश में आओ आदि नारे लगाये गए।
आज स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि सरकार से मांग करने वाले चाहे वह छात्र हों, हो, किसान हो , या मजदूर हो अपनी बुनियादी मांगों को लेकर जहां भी इकट्ठे होते हैं सरकार उनसे बात करने के बजाए पुलिसिया बर्बरता के तले उनकी आवाज को दबाने का काम करती रही है। विरोध प्रदर्शन में राहुल,शुभम,नीतीश,आशुतोष,दीपक, सुमित,कबीर,पवन, शशांक, अर्चना, अमन, पवन आदि लगभग 50 छात्र- छात्राएं शामिल हुए।

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