तुम बनारस की विकसित BHU मै मिर्जापुर का विकासशील RGSC प्रिय:- रौशन

तुम बनारस की विकसित BHU मै मिर्जापुर का विकासशील RGSC प्रिय। 
तुम पर आशीष है महादेव का, मुझ पर माँ विंध्वाशिनी का आँचल प्रिय। 
तुम बनारस की ललाट। मैं मिर्जापुर के आँखों का काजल प्रिय।। 
तुम बनारस का अस्सी घाट सी, मैं मिर्जापुर का पक्की घाट प्रिय।। 
तुम रामगढ़ की लस्सी सी। मै बरकच्छा का गुलाब जामुन प्रिय। 
तुम्हे भाता है शॉपिंग माॅल,मुझको विंदम् और खरंजा फाॅल प्रिय।
तुम कोल्ड कॉफी हो VT की। मैं बेलहरा का गर्म चाय प्रिय। 
तुम मधुवन सी हो मधुशाला,मै मालवीय पार्क सा मतवाला ।।
तुम बनारस का चकाचौंध सी,मैं मिर्जापुर का शांत पहाड़ प्रिय।
तुम घाट-ए-इश्क बनारस सी, मुझमे मिर्जापुर का प्यार प्रिय।
तुम ठहरी बनारस का लंका gate.मैं मिर्जापुर का sun-set प्रिय।।
तुम पुराने कोर्स पर इठलाती। मुझमें स्पेशल कोर्स का नाम प्रिय।
तुम काशी की सिरमौर प्रिय, मैं मिर्जापुर का शान प्रिय।
तुम गौरव की अभिप्राय प्रिय ।मैं पहचान का मोहताज प्रिय।।
फिर भी मैं और तुम दोनों हैं महामना के सरताज प्रिय।।

BHU का मिर्जापुर और बनारस दोनों जगह कैंपस हैं। परन्तु बनारस कैंपस जो की संसाधनों से परिपूर्ण है वहीं दक्षिणी परिसर में (मिर्जापुर) मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। हालाँकि धीरे-धीरे इस कैंपस जो की अत्यंत ही खूबसूरत स्थान और एकांत में मिर्जापुर मे बसा है, उसमें BHU प्रशासन के द्वारा ध्यान देकर और भी विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।BHU के छात्रों पर महामना का आशीर्वाद हमेसा ही बना रहता है, जिसके कारण दक्षिण परिसर के छात्र भी महामना का नाम यहाँ से निकल कर रौशन कर रहे हैं। लेकिन दक्षिणी परिसर जो की BHU का बहुत ही खूबसूरत कैंपस है उसपे और ध्यान देने की जरूरत है ताकि यहाँ के छात्रों का सर्वांगीन विकास हो सके और वे मालवीय जी की मूल्यों पे चल के अपने क्षेत्र में नये कृतिमान स्थापित कर सकें ।

✍️ © रौशन कुमार(MLT तृत्रीय वर्ष) 

       RGSC(BHU)

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