जब मुझसे मेरे दिल्ली के एक नए नए दोस्त ने बीएचयू के संदर्भ में चर्चा के दौरान इसे एक साधारण विश्वविद्यालय बता दिया

ये बात उन दिनों की है जब मुझसे मेरे दिल्ली के एक नए नए दोस्त ने बीएचयू के संदर्भ में चर्चा के दौरान इसे एक साधारण विश्वविद्यालय बता दिया था।👇👇👇👇

हमारे रोज रोज के बीएचयू के गुणगान को सुनते सुनते अखंड पक चुका था और एक दिन झुंझलाकर बोला:-
यार तुमलोग बीएचयू को बेवजह हीं इतना महत्त्व देते हो,बीएचयू भी अन्य विश्वविद्यालयों के भांति एक साधारण विश्वविद्यालय हीं है।
यह बात सुनते हीं त्रिपुरारी बांह चढ़ाने लगा और माहौल गरमाने लगा था। मैं वक्त के मिजाज को भांपते हुए बड़ी हीं मधुरता के साथ पूछा:-
बीएचयू क्या है जानते हो?
हां, एक विश्वविद्यालय है।
विश्वविद्यालय तो पढ़े लिखे लोगों के नजर में है, बिहार और यूपी के गांव वालों के लिए क्या है, जानते हो?
विश्वविद्यालय तो सबके लिए विश्वविद्यालय हीं होता है गांव वालों के लिए बदल थोड़ी न जाता है।
तब तुम यही तो नहीं जानते,तुम कभी गांव में रहे होते तब ना जानते, की गांव वालों के लिए बीएचयू क्या है।
तुम तो शहर के अच्छे स्कूल में पढ़े लिखे, बड़े हुए और आसानी से बीएचयू में दाखिला ले लिए,फिर तुम क्या जानोगे बीएचयू क्या है।
फिर तुम हीं बताओ, तुम तो गांव से हो न, तुम गांव वालों के लिए बीएचयू क्या है??
इज्ज़त,प्रतिष्ठा,शोहरत,सम्मान इन सब शब्दों के बारे में जानते हो?
हां, और क्या; अब इसके बारे में कौन नहीं जानता है?
तुम्हारे यहां ये सब कैसे मिलता है?
तुम्हारे यहां से क्या तात्पर्य है? ये तो हर तरफ पैसों वालों को या यूं कहें कि बड़े लोगों को मिलता है।
हां सही कहे, लेकिन हमारे यहां गांव में न जब किसी गरीब का लड़का भी जब बीएचयू में आ जाता है, तो उसके बाबूजी का इज्ज़त समाज में कई गुना बढ़ जाता है।सब बड़े सम्मान से कहते हैं कि इनकर लईका बीएचयू में बा।जितना तुम लोगों को पुलिस की नौकरी पाकर सम्मान नहीं मिलता है, उससे कहीं ज्यादा हमारे यहां गांवों में बीएचयू में दाखिला मिल जाने पर इज्जत मिलता है।
हमारे लिए बीएचयू एक विश्वविद्यालय नहीं बल्कि प्रतिष्ठा,इज्जत,शोहरत तथा कामयाबी का घर है।

तुम्हारे यहां जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं तो उन्हें सिखाया जाता है कि बड़ा होकर इंजिनियर बनेगा,डॉक्टर बनेगा,वैज्ञानिक बनेगा,जबकि हमारे यहां सिखाया जाता है कि बड़ा होके हम बीएचयू में दाखिला लेंगे।जब हम पहली बार एंट्रेंस एग्जाम देने आते हैं न तो घर के डिह और देउकुर पुज कर आते हैं, कि हे भगवान! कैसे भी बस एडमिशन हो जाए।बीएचयू का प्रवेश द्वार तुम्हारे लिए सिंह द्वार होगा, लेकिन हमारे लिए पूजा स्थल का द्वार है।
जैसे गांव में बच्चे जब सुबह सुबह दौड़ने जाते हैं, तो फिल्ड में पहुंचते हीं धरती मां का पैर छूते हैं न, ठीक वैसे हीं हम पहिला पांव अंदर रखने से पहले हीं तुम्हारे सिंह द्वार, यानी कि अपने मंदिर के दरवाजे पर माथा झुकाते हैं।
ओह!यानी कि तुमलोगों के लिए यह भी कोई भगवान हैं?
भगवान तो नहीं कह सकते हैं लेकिन भगवान का निवास स्थान अवश्य है।
यार तुम लोग बहुत पिछड़े हो,तुमलोग रूढ़िवादी हो, it's just a university not anything more....
मेरे भाई बीएचयू केवल एक यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि हमारे लिए पूजा स्थल है,जिससे हम सभी की फीलिंग जुड़ी हुई है,जिसका सम्बन्ध आत्मा से है जिसके प्रति सम्मान कभी कम नहीं हो सकता है।
बस तुम यह समझ लो कि बीएचयू हमारे लिए स्वर्ग है।
हद है यार ऐसा भी क्या है इसमें को हमें दिखाई नहीं दे रहा और तुमलोग इतना प्रेम करते हो बीएचयू से?
प्रेम के लिए वजह की आवश्यकता थोड़ी होती है वो तो बस हो जाता है, बस यूं समझ लो बीएचयू अपना प्रेम हैं।
ठीक है भाई, मुझे माफ़ कर दो हम भी मानते हैं कि बीएचयू स्वर्ग है।
त्रिपुरारी के बांह की बटन बन्द हो चुकी थी और हम तीनों हंसते हुए लंका की ओर चाय के लिए निकल पड़े।।

              ✍️© कृष्ण कांत त्रिपाठी 
Bachelor of Vocation (Hospitality and tourism management)
 #अंजान

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