काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रेमचंद जयंती समारोह की साहित्यिक गूंज
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हिंदी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य दो दिवसीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन कला संकाय द्वारा लमही स्थित मुंशी प्रेमचंद शोध एवं अध्ययन केंद्र में किया जा रहा है, जहाँ प्रेमचंद का जन्म हुआ था और आज भी साहित्यप्रेमियों के लिए यह स्थल एक तीर्थ के समान माना जाता है।
समारोह का उद्देश्य सिर्फ प्रेमचंद की जयंती मनाना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को उनके साहित्य, विचारधारा और मूल्यों से परिचित कराना है। जैसे-जैसे शिक्षा का व्यावसायीकरण बढ़ रहा है और सामाजिक मूल्यों का ह्रास दिख रहा है, वैसे-वैसे प्रेमचंद जैसे लेखक की प्रासंगिकता और गहराई और भी स्पष्ट दिखती है। यही सोच इस आयोजन के पीछे प्रेरणा बनी।
समारोह के पहले दिन विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर तीन मुख्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें निबंध लेखन, चित्रकला और साहित्य आधारित प्रश्नोत्तरी शामिल थीं। निबंध प्रतियोगिता में स्कूली छात्रों के लिए "कथा सम्राट प्रेमचंद" और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए "प्रेमचंद के साहित्य का उद्देश्य" विषय निर्धारित किए गए थे। प्रतियोगिता में कुल 27 प्रतिभागियों ने भाग लिया, और हर लेख में प्रेमचंद की लोकचेतना, यथार्थवाद और सामाजिक न्याय को लेकर एक समझ और अनुभव प्रकट होता दिखाई दिया।
चित्रकला प्रतियोगिता में 25 प्रतिभागियों ने प्रेमचंद की कहानियों को रंगों के सहारे जीवंत किया। किसी ने ‘पूस की रात’ में गरीब कृषक की व्यथा को तूलिका से उकेरा, तो किसी ने ‘ईदगाह’ में हामिद की मासूमियत को चित्रित किया। छात्रों की कल्पनाशीलता और भावनात्मक जुड़ाव इस कला रूप में स्पष्ट दिखा।
साहित्य प्रश्नोत्तरी में कुल 13 टीमों ने भाग लिया, जिसमें स्कूल की 7 और कॉलेज की 6 टीमें शामिल रहीं। 39 प्रतिभागियों ने प्रेमचंद के जीवन, रचनाओं, और विचारविमर्श पर आधारित प्रश्नों का जवाब देकर यह साबित किया कि आज की युवा पीढ़ी में अब भी साहित्य की गहराई को जानने की जिज्ञासा शेष है।
इन तीनों प्रतियोगिताओं का संचालन डॉ. विवेक सिंह और डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने संयोजनात्मक कुशलता के साथ किया। निर्णायकों द्वारा चयनित विजेताओं को 31 जुलाई को आयोजित होने वाले मुख्य समारोह के अवसर पर पुरस्कृत किया जाएगा।
कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर नीरज खरे ने बताया कि यह आयोजन केवल साहित्यिक क्रियाओं का मंच नहीं है, बल्कि यह प्रेमचंद जैसे लेखक के माध्यम से सामाजिक चेतना के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में केवल सामाजिक समस्याओं का चित्रण नहीं, बल्कि उनके समाधान की मानवीय और नैतिक दिशा भी स्पष्ट होती है, जो आज के छात्रों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
31 जुलाई को आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में हिंदी की वरिष्ठ कथा आलोचक और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. रोहिणी अग्रवाल ‘प्रेमचंद के सपनों का भारत’ विषय पर व्याख्यान देंगी। यह व्याख्यान प्रेमचंद के साहित्य और उनके जातीय, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को समकालीन संदर्भों में जोड़ने का प्रयास करेगा।
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