अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर BCM BHU के संगठन सम्मेलन नई कार्यकारिणी व पदाधिकारियों की घोषणा की गई।,संगठन के नए कार्यकारिणी में अध्यक्ष अकांक्षा आजाद, सचिव इप्शिता, उपाध्यक्ष आदर्श, सहसचिव सिद्धि बिस्मिल, कोषाध्यक्ष संदीप


अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर BCM BHU के संगठन सम्मेलन नई कार्यकारिणी व पदाधिकारियों की घोषणा की गई।,संगठन के नए कार्यकारिणी में अध्यक्ष अकांक्षा आजाद, सचिव इप्शिता, उपाध्यक्ष आदर्श, सहसचिव सिद्धि बिस्मिल, कोषाध्यक्ष संदीप

आज भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा द्वारा अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर "समाजवादी समाज में शिक्षा और रोजगार" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार व संगठन का छठवां सम्मेलन BHU के डीएसडब्ल्यू हॉल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में 180 से 200 लोग शामिल हुए। सर्वप्रथम संगठन की नई कार्यकारिणी व पदाधिकारियों की घोषणा की गई। इस सम्मेलन में संगठन का नाम "भगत सिंह छात्र मोर्चा" से बदलकर "भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा" किया गया। इसका कारण संगठन के नाम को जेंडर न्यूट्रल करना था जिससे पहले मात्र छात्र समुदाय ( पुरुष) का संबोधन होता था लेकिन स्टूडेंट्स में सभी जेंडर शामिल हैं। संगठन के नए कार्यकारिणी में अध्यक्ष के तौर पर अकांक्षा आजाद, सचिव के पद के लिए इप्शिता, उपाध्यक्ष आदर्श, सहसचिव सिद्धि बिस्मिल, कोषाध्यक्ष संदीप को व महेंद्र और अमर को कार्यकारिणी के सदस्य के तौर पर सबके सामने घोषणा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत संगठन की सांस्कृतिक टीम द्वारा  " धरती को सोना बनाने वाले भाई रे, देख तेरी मेहनत को लूटे कसाई रे" गाने से किया गया। 

      हिंदी विभाग, बीएचयू के असिस्टेंट प्रोफेसर विंध्याचल यादव ने " शिक्षा का वर्तमान चरित्र, शिक्षा पर ब्राह्मणवादी हिंदुत्व हमले व शिक्षा पर साम्राज्यवादी हमले खासकर नई शिक्षा नीति " विषय पर अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि अकादमिक जगत में सांप्रदायिक धार्मिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और जो वास्तविक सभ्यता व संस्कृति का साहित्य है उसपर हमला हो रहा है। बिरसा, फूले व अंबेडकर की विचारधारा पर शिक्षा जगत में खुले तौर पर हमले हो रहे हैं और ब्राह्मणवादी शिक्षा को स्थापित किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने स्टूडेंट्स पर पाठ्यक्रम के बढ़ते बोझ की भी निंदा की। उन्होंने कहा इतिहास व साहित्य में समतामूलक, धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रमों को होशियारी से खत्म किया जा रहा है और आरएसएस की विचारधारा से पाठ्यक्रम को लैश किया जा रहा है। 


   दिल्ली विश्विद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर विकास गुप्ता ने " सोशल एक्सपेरिमेंट इन एजुकेशन (शिक्षा में सामाजिक अनुसंधान)" विषय पर अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने बताया कि किस तरह से भारत की शिक्षा व्यवस्था गैर बराबर और अतार्किक है। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 के साम्राज्यवादी चरित्र को बताते हुए उसकी पोल पट्टी खोल कर रख दी। नई शिक्षा नीति कैसे निजीकरण को बढ़ावा दे रही है और आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षा से और भी दूर कर रही है।


    वर्कर्स यूनिटी के संपादक संदीप रउजी ने "स्टूडेंट्स-मजदूरों के संघर्ष व संबंध का महत्व तथा समाजवादी समाज में रोजगार की स्थिति" विषय पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा ऐतिहासिक रूप से सभी आंदोलनों, हड़तालों, विरोध प्रदर्शनों में स्टूडेंट्स का अग्रणी योगदान रहा है। स्टूडेंट्स और मजदूरों का सामूहिक संघर्ष ही समाजवाद को स्थापित कर सकता है। उन्होंने नए श्रम कानून के माध्यम से 12 घंटे तक मजदूरों से काम कराने की योजना को मजदूरों के शोषण का और ज्यादा मुनाफा कमाने का षड्यंत्र बताया। व इस कानून के माध्यम से मजदूरों के तमाम जनवादी अधिकार (न्यूनतम मजदूरी, 8 घंटे काम, साप्ताहिक छुट्टी, भत्ते, जीवन के सुरक्षा की गारंटी,स्वास्थ्य सुविधा आदि) को समाप्त कर दिया गया है। ऐसे में स्टूडेंट्स व मजदूरों को एकसाथ जुड़कर संघर्ष करने व समाजवादी समाज को बनाने की मुख्य चुनौती है। रोजगार पर उन्होंने कहा वर्तमान पूंजीवादी साम्राज्यवादी व्यवस्था ही बेरोजगारी की मूल जड़ है। समाजवादी समाज में सभी को रोजगार की गारंटी होगी और किसी के भी श्रम का शोषण नही होगा।


       राजनीतिक- सामाजिक कार्यकर्ता मनीष आजाद ने समाजवादी विचारधारा व शिक्षा पर इतिहास के उदाहरणों सहित विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि समाजवादी विचारधारा व इसके ऐतिहासिक (रूस, चीन, क्यूबा) उपलब्धियों पर पूंजीवादी साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा काफी कुत्सा प्रचार किया गया है व मिटाने की कोशिश की गई है। आज के स्टूडेंट्स को समाजवादी विचाराधारा की झूठी नकारात्मक बाते ज्यादा बताई गई हैं। इसके सकारात्मक पहलू पर बात करना शोषक वर्ग के लिए खतरा है इसलिए वे इसे दबाते हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन, परमाणु, अंतरिक्ष यान, कृषि तकनीकी व तमाम वैज्ञानिक तकनीकी विकास रूस के समाजवादी समाज में ज्यादा हुई। उन्होंने " ब्रेकिंग विद ओल्ड आइडियाज" मूवी के माध्यम से चीन के सांस्कृतिक क्रांति के तहत समाजवादी शिक्षा के स्थापना को समझाया।

 कार्यक्रम का अंतिम वक्तव्य बीएसएम के अध्यक्ष आकांक्षा आजाद ने दी। उन्होंने पढ़ाई को समाज परिवर्तन से जोड़कर देखने की बात कही और लोगों से शोषण मुक्त मजदूरों-किसानों के राज की सत्ता स्थापना के लिए स्टूडेंट्स को संघर्ष करने की अपील की। साथ में उन्होंने संगठन के 12 वर्षो के गौरवशाली संघर्ष व इतिहास को बताते हुए कहा हम लोग व्यक्तिगत लाभ व अवसरवाद के लिए राजनीति नही करते हम अपने सिद्धांतों और मूल्यों को जिंदा रखने के लिए मरते दम तक लड़ते हैं और न्यायसंगत समतामूलक और समाजवादी साम्यवादी समाज को बनाने की संघर्ष करते हैं। विश्वविद्यालयों में भेदभाव, सांप्रदायिकता, ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवादी विचारधारा के बढ़ते हमले पर बात रखते हुए संगठन के इसके खिलाफ जोरदार टक्कर व संघर्ष को भी चिन्हित करते हुए अपना वक्तव्य रखा।    


  सेमिनार के अंत में डीएसडब्ल्यू से विश्वनाथ मंदिर परिसर तक मार्च निकाला गया। मार्च में तमाम जोशीले क्रांतिकारी गीत गाए गए और पूंजीवाद ,सामंतवाद, साम्राज्यवाद, नए श्रम कानून, नई शिक्षा नीति,ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवाद के खिलाफ नारे लगाए गए। मार्च में सोनाली, गणेश,आकाश,अंकिता,राजेश, शशि,विश्वजीत, ब्रह्मणारायण, दीपक,किशन, अमन,अमित, अनुपम, विनय व 100 से 120 लोग शामिल हुए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ