आज दिनांक 20 दिसम्बर को जॉइंट एक्शन कमेटी द्वारा लंका गेट व अस्सी घाट पर किसान आंदोलन में शहीद किसानों को दीप जलाकर श्रद्धांजलि दी गयी व पर्चा वितरण किया।
श्रद्धांजलि सभा में कहा गया कि यह बहुत दुःखद है कि किसानों के शहादत को मोदी सरकार नज़रंदाज़ करके किसानों के आंदोलन को तरह तरह से बदनाम कर रही है। देश भर में किसान वर्षों से अपने हक़ की लड़ाई लड़ता रहा है। देश समय समय पर किसान आंदोलन से गर्माता रहा है। नील के विरोध से लेकर तूतीकोरिन, मंदसौर से लेकर आज देश भर में कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है,में अनेक किसानों ने शहादत दी है। लेकिन दुःखद है कि मोदी सरकार किसानों की मांग मानने के बजाय इन्हें बदनाम कर रही है।
यह तीनों कृषि कानून किसान विरोधी है। मोदी सरकार जानबूझ कर किसानों को अडानी-अम्बानी का बंधुआ बना रही है।अगर मोदी सरकार वास्तव में किसान हितैषी बनाना चाहती है तो कृषि कानून वापस लेकर,MSP को वैधानिक करे।
किसानों की शहादत इस बात का प्रमाण है कि अडानी-अम्बानी-मोदी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। मोदी सरकार पूर्ण रूप से अडानी-अम्बानी के इशारे पर काम कर रही है।
शहीद किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित कर मोदी सरकार से मांग की गई की किसानों की बात मानी जाए व कृषि कानून वापस हो।
श्रद्धांजलि सभा में पूर्वांचल के भी किसानों की मांग को जोड़ते हुए सात सूत्रीय मांग किया गया-
1-गेहूं,धान के साथ साथ सब्जी फल आदि की भी न्यूनतम खरीद मूल्य तय हो इससे कम खरीद करने वाले पर मुकदमा कायम किया जाए।
2- किसान हित विरोधी कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
3-छुट्टा पशु की परेशानी से निजात मिले।
4-बीज, खाद, कृषि उपकरण, पानी और बिजली के बढ़े हुए दाम वापस लिए जाएं, और इन्हें समुचित सब्सिडी पर किसानों को उपलब्ध कराया जाए।
5-कृषि को कोआपरेटिव मॉडल से जोड़ा जाए।
6-अधिया लगान पर या किराए की खेती करने वाले को भी किसान का दर्जा मिले।
7-छोटे व लघु किसानी से मनरेगा को जोड़ा जाए।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अफलातून, फादर आनंद, नंदलाल मास्टर,सतीश सिंह, रंजू, विकास सिंह, राजेन्द्र चौधरी, शिवी, सानिया, इंदु, हर्षिका, साक्षी, विक्रम ,शिवम, ज़ियाउल हक़, विवेक कुमार, कुलदीप, नितेश, विवेक मिश्र, जय, नीरज, रामजनम, दिवाकर, धनंजय, रजत, राज ,मुरारी, विक्रांत सिंह आदि लोग मौजूद थे।
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